Paralysis Treatment In Homeopathy – लकवा

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लकवा एक ऐसा रोग है जिसका आक्रमण अचानक होता है। शरीर उसमें स्वाभाविक कार्य करने की शक्ति नहीं रहती। लकवा या पक्षाघात का आक्रमण कभी-कभी पूरे शरीर पर या फिर शरीर के आधे भाग पर होता है। कभी-कभी शरीर का केवल दाँया या बॉया भाग ही मुख्य रूप से प्रभावित होता है। यही नहीं, कभी-कभी कुछ परिस्थितियों में शरीर के कुछ अंग मात्र या छोटे भाग ही प्रभावित होते हैं जैसे- जीभ का पक्षाघात, अंगुलियों का पक्षाघात आदि ।

लकवा मार जाने की स्थिति में लक्षणानुसार कई दवायें प्रयुक्त होती हैं। पूर्ण उपचार हेतु रोगी के लक्षणों व उसकी स्थितियों पर गम्भीरतापूर्वक ध्यान देकर चिकित्सा-अवधि में कई प्रकार की दवाओं का चयन करना पड़ सकता है क्योंकि रोग की स्थिति बदलती रहती है। यह कार्य पूर्ण वैधानिक विधि से करना चाहिये ताकि रोगी को पूर्ण आराम मिल सके । लकवा जैसे रोगों से पीड़ित जितने भी रोगियों की मैंने चिकित्सा की, मुझे कभी भी निराश नहीं होना पड़ा । इस बात को मैं यहाँ पर पूर्ण अधिकार से लिख सकता हूँ कि दवा देने के दूसरे दिन मुझे 50% सफलता मिल जाती है परन्तु शेष रोग के उपचार में अवश्य ही समय लग जाता है । इसका कारण यह होता है कि इस मध्य रोगी का शरीर लक्षणों के अनुसार कई और दवायें चाहता है क्योंकि पक्षाघात के आक्रमण के साथ कई पाश्र्व उद्भेद रोगी में आ जाते हैं, जिनका उपचार सुनिर्वाचित औषधियों के साथ करना पड़ता है । पक्षाघात की

प्रथमावस्था में- कॉस्टिकम 200- पक्षाघात की प्रथमावस्था में यह दवा देनी चाहिये । इस दवा का विशेष प्रभाव मेरुदण्ड पर होता है जहाँ से होकर समस्त ज्ञान-तन्तु शरीर के विभिन्न अंगों को जाते हैं । या मस्तिष्क, दाँये अंग आदि प्रभावित हों- में प्रयोग की जाती है तथा इसके परिणाम भी सन्तोषप्रद रहे हैं। यदि रोग-स्थिति के अनुसार आप उचित समझें तो 200 शक्ति की खुराक के पश्चात् 1M शक्ति, फिर 10M और अन्त में CM शक्ति का प्रयोग उचित समय-अन्तराल से कर सकते हैं। इस दवा को देने से रोगी को जल्दी आराम होने लगता है । रोगी स्पर्श के प्रति भी अति संवेदनशील होता है। रोगी का मूत्र अपने-आप निकल जाता है ।

सिर, गर्दन व रीढ़ का पीछे मुड़ जाना- साइक्यूटा 200- यदि पक्षाघात की ऐसी अवस्था हो जिसमें सिर, गर्दन व रीढ़ पीछे को मुड़ जायें तो ऐसी स्थिति में इस दवा को एक गिलास पानी में मिलाकर उस पानी को दो-दो चम्मच की मात्रा में बार-बार पिलायें। इसमें हिचकी आदि के लक्षण भी प्रायः मिल सकते हैं ।

पहले शरीर में शून्यता फिर कमजोरी के बाद लकवा हो- जेल्सीमियम 30- यदि शरीर में पहले शून्यता आये, फिर कमजोरी के बाद पक्षाघात का आक्रमण हो तो इस दवा का प्रयोग करना चाहिये। इस औषधि में कमजोरी व चक्कर आदि की स्थितियाँ भी देखी जा सकती हैं ।

टॉगों के पक्षाघात पर- कुरारी 30,200 – यदि पक्षाघात का आक्रमण पहले पैरों से शुरू होकर फिर ऊपर की तरफ बढ़ता हो तो ऐसी स्थिति में यह दवा प्रयोग करनी चाहिये। टाँगों का ऐसा पक्षाघात जिसमें माँसपेशियाँ 30 शक्ति में दी जा सकती हैं ।

श्वासनली का हल्का-सा पक्षाघात- लोवेलिया इन्फ्लैटा 200– यदि श्वासनलिका का हल्का-सा पक्षाघात ही या शरीर के आधे पक्षाघात के बाद शवासनलिका का पक्षाघात हो गया हो तो देनी चाहिये।

टाइपिस्टों की अंगुलियों का पक्षाघात- स्टैनम 30- टाइपिस्ट या दर्जी, जो अंगुलियों से बारीक कार्य करते हैं, उनके पक्षाघात पर यह दवा देनी चाहिये, लाभ होगा |

सायटिका व पक्षाघात-लोलियम टेमुलेण्टम 6 – यदि सायटिका व पक्षाघात हो तो यह दवा देनी चाहिये। इस दवा के पक्षाघात में रोगी की स्वाभाविक शक्ति घट जाती है, अंग कॉपते हैं और एड़ी से घुटनों तक बेहद दर्द होता हैं जिससे रोगी परेशान हो जाता है ।

निम्नांग या अरुर्दभाग का पक्षाघात व कॉपना- थैलियम 30 – ऐसा पक्षाघात जिसमें निम्नांग या अन्द्रभाग ही प्रभावित हो तथा अंगों में कम्पन्न हो, इलैक्ट्रिक शॉक की तरह का दर्द अंगुलियों में हो एवं सुन्नपन में चीटियाँ चलने की अनुभूति हो तो इस दवा का लगातार प्रयोग करना चाहिये।

पैरों की पेशी की क्षमता कम होने पर- एस्ट्रागैलस मेलिसिमस 12, 30 – यदि पैरों की पेशियों की स्वाभाविक क्षमता घट जाये व पक्षाघात जैसी स्थिति निर्मित हो जाये जिससे पैर ठीक से न पड़ते हों, चलने में परेशानी हो तो इस दवा का प्रयोग करना चाहिये।

ठड लगकर होने वाले पक्षाघात पर- डल्कामारा 30,200 – यदि ठण्ड लगने के बाद पक्षाघात हुआ हो तो इस दवा का प्रयोग करना चाहिये। यदाकदा रसटॉक्स 30 या 200 का भी प्रयोग करना चाहिये ।

अंगुलियों का पक्षाघात- मेजेरियम 30,200 –अंगुलियों का ऐसा पक्षाघात जिसमें रोगी अंगुलियों से छोटी वस्तु पकड़ने में असमर्थ हो जाता हो तो उसको यह दवा देनी चाहिये।

उपरोक्त वर्णित दवाओं के प्रयोग से कभी-कभी एक भाग का पक्षाघात ठीक होने के साथ-साथ वह प्रायः अपना स्थान बदलता है। यदि ऐसा न भी हों तो रोग आधा ठीक होकर बीच में ही रुक जाता है। इस स्थिति से निपटने के लिये प्रायः जिस दवा से लाभ हुआ है उस दवा की शक्ति होमियोपैथी के सिद्धान्त के अनुसार बढ़ाई जा सकती है। यदि पक्षाघात स्थान परिवर्तित करे तो स्थिति के अनुसार उस दवा की उच्चशक्ति की एक मात्रा दुबारा आक्रमण के पहले ही दे देनी चाहिये। ऐसे प्रमुख अंगों की शिथिलता, जिसमें मूत्र व पाखाना प्रभावित हो तो उसकी दवा इन दवाओं के साथ देते रहना चाहिये जिसमें एक मात्रा ओपियम या प्लम्बम मेट 200 शक्ति की आवश्यकता के अनुसार दी जा सकती है। जीवन-शक्ति के निम्न स्तर पर पहुँचने पर काबॉवेज व माँसपेशियों को प्रभावित करने वाली दवाओं का भी प्रयोग करते रहना चाहिये। फैरम फॉस, काली सल्फ व फाइव फॉस का प्रयोग 3x शक्ति में करते रहना चाहिये जो इस रोग के निदान में सहायता करती हैं। उक्त दवाओं का भी प्रयोग निर्दिष्ट दवाओं के साथ किया जा सकता है लेकिन रोगी की पूरी स्थिति का अध्ययन करने के बाद ही प्रयोग करें ।

डॉ० घोष ने अपनी पुस्तक ‘कॉम्पैरेटिव मेटिरिया मेडिका’ में लिखा है कि बहुत पुराने घी में मुर्गी के अण्डे का पीला अंश मिलाकर सेक देने से शीघ्र लाभ होता है। कुछ परम्परावादी लोगों का विचार है कि कबूतर के रक्त को मुर्गी के अण्डे में मिलाकर रोगी के पक्षाघात वाले अंग पर मालिश करने से पक्षाघात ठीक हो जाता है। कुछ लोगों का यह भी मानना है कि केवल कबूतर के रक्त की मालिश पेट व पीठ पर उल्टी दिशा में करनी चाहिये, इससे रक्त-संचार तीव्र हो जाता है तथा माँसपेशियों में संवेदनशीलता आने लगती हैं तथा दस-पन्द्रह दिनों में असर सामने आने लगता है।

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5 Comments
  1. Louboutin Replica says

    To be able to George: an individual dumb daft freak, plastics could be formulated to collapse with ages as an alternative to centuries. Head out advise on your own.

  2. Haresh Hadiyal says

    hello sir
    me Gujarat se hu mera accident hua he
    abhi chal nahi sakta hu
    pairo me kabhi kabhi pata chalta he
    fir bandh ho jata he
    koi medicine bataiye

  3. Anil Mallojwr says

    hello sir
    May Mahrashtra ke tal. Chandrpaur se hu mere maa ke sharirka Adha bhag Lakva mara hai aur karib 3 sal ho chule hai per unhe kafi pasena aur chakar ate hai isa koi upay bataiye

  4. Bicky Kumar says

    Meridian bahn Jo 24-02-2017 ko lakwa Ka aitek baye ang me hua tha Jo abhi tak thik nahi hui hai age 28 years

    1. Dr G.P.Singh says

      Please write clear and descriptive so that one can understand your problem.You should write about yourself. Your nature like anger, fear, your height,age, colour etc. You may start taking medicine with Causticum 30 daily. You may try to meet the Dr. at Patna.

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