दमा (अस्थमा) सांस फूलने की होम्योपैथिक दवा | Saans Fulne Ki Homeopathic Medicine In Hindi

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इस लेख में हम अस्थमा, सांस लेने में कठिनाई को ठीक करने की मुख्य होम्योपैथिक दवा की चर्चा करेंगे। अस्थमा फेफड़ों से जुड़ी एक ऐसी बीमारी है जिसमे सांस लेने में कठिनाई उत्पन्न होती है। अस्थमा होने पर श्वास नलिकाओं में सूजन के कारण श्वसन मार्ग सिकुड़ जाता है। जब यह सूजन अधिक बढ़ जाती है तो श्वास नलिकाओं में कसने की अनुभूति होती है और सांस लेने में दिक्कत, सीने में जकड़न और घरघराहट, सांस लेने पर सीटी सी आवाज जैसे लक्षण देखने को मिलते हैं।

अस्थमा के कई प्रकार हैं परन्तु जो मुख्य दो प्रकार के हैं वो हैं :-

1. एलर्जिक अस्थमा – इसमें रोगी को किसी विशेष चीज से एलर्जी होती है जैसे धूल मिट्टी में आते ही साँस लेने में तकलीफ होने लगती है या मौसम के परिवर्तन के कारण भी अस्थमा हो जाया करता है।

2. नॉन एलर्जिक अस्थमा – जब कोई अचानक घबरा जाये या बहुत अधिक तनाव में हो या सर्दी, खाँसी, जुकाम हो जाये तो भी अस्थमा के दौरे पड़ने लगते हैं।

ज्यादा समय न लेते हुए हम होम्योपैथिक दवा की चर्चा करेंगे कि अस्थमा के किस लक्षण पे कौन सी दवा का सेवन करना है :-

सबसे पहली दवा arsenic album, अगर आपको सांस लेने में दिक्कत के साथ बेचैनी और suffocation महसूस हो रहा है, रात में 12 से 2 के बीच दौरे पड़ते हों, लेटने से सांस लेने में कठिनाई होती हो, आप उठ कर बैठ जाते हैं, प्यास लगे, थोड़ा-थोड़ा पानी की प्यास लगती रहे, और सबसे खास बात रोगी सर्द-प्रकृति का हो तो arsenic album 30 से तुरंत लाभ मिल जायेगा। Arsenic album 30 की 2 बून्द दिन में 3 बार लें।

दूसरी दवा Antim tart – इस दवा में सीने में जकड़न महसूस होती है, रोगी का दम घुटता है, फेफड़ों में पर्याप्त हवा नहीं पहुँच पाती, लेटे रहने से खांसी बढ़ जाए, सीने में घड़घड़ाहट हो, कफ न निकलता हो, उठ कर बैठने से चैन.पड़ता है, तब Antim tart दवा देनी चाहिये। इस दवा के रोगी का रोग नमी और ठण्ड से बढ़ जाता है। ऐसे में Antim tart 30 की 2 बून्द दिन में 3 बार दें।

अगली दवा है Ipecac 30, इसमें तेज घड़घड़ाहट वाली खांसी होती है। सीने में बलगम भरा हुआ महसूस होता है परन्तु खांसने पर बलगम बाहर नहीं निकलता। यह दवा बच्चों के लिए बहुत उपयोगी है। खांसते-खांसते बच्चे का चेहरा अकड़ जाता है और नीला पड़ जाता है। दमा के दौरान Ipecac Q और Aconite Q दें, दमा के दौरे तुरंत इससे ठीक हो जाते हैं। इस दवा में मितली के लक्षण शामिल हो सकते हैं। ऐसे दौरे जो प्रतिवर्ष आते हैं वह भी इस दवा के उपयोग से ठीक हो जाते हैं। दौरे आये तो Ipecac Q और Aconite Q दें। दौरे ठीक होने पर ऐसे लक्षण पर Ipecac 30 की 2 बून्द दिन में 3 बार इस्तेमाल करें।

अगली दवा Natrum Sulph 200 – यह बच्चों के अस्थमा और सांस लेने में दिक्कत की उत्तम दवा है। इसमें खांसी ऐसी होती है कि बच्चा बिस्तर से उठ कर सीने को हाथो से पकड़ लेता है। घड़घड़ाहट के साथ खांसी होना, सुबह 3 से 5 बजे खांसी का बढ़ जाना। बलगम हरापन या पीलापन लिए रहता है। ठंडी हवा से रोग बढ़ जाता है। दमे के रोगी के विषय में यह जान लेना अनिवार्य है कि क्या रोगी का अस्थमा नमी से बढ़ जाता है, क्या 3 से 5 बजे सुबह बढ़ जाता है, क्या अस्थमा होने के साथ ही दस्त भी आने लगते हैं। अगर ऐसे लक्षण हैं तो Natrum Sulph 200 की 2 बून्द हफ्ते में 1 बार लें, दमा पूरी तरह से ठीक हो जायेगा।

अगली दवा है Senega Q – वृद्ध व्यक्ति जो अस्थमा से पीड़ित हैं उनके लिए उपयोगी है। सांस लेने में कठिनाई, सीने में बलगम के कारण घड़घड़ाहट होना, बोलने में तकलीफ होती है, खांसी का अंत प्रायः छींक के रूप में होता है। जब छाती में बलगम भरा हो, घड़घड़ाहट या सांय-सांय की आवाज आ रही हो, सांस लेने में भी तकलीफ होता हो, तब Senega की निम्न-शक्ति ही काम करती है, उच्च-शक्ति नहीं। एक दमे से पीड़ित महिला जिसे तकियों के सहारे बैठा कर रखा जाता था, छाती से धड़धड़ और सांय-सांय का शब्द सुनाई देता था, छाती में बलगम भरा पड़ा था। उसे इपिकाक, आर्सेनिक, ऐन्टिम टार्ट दिया गया, पर किसी से कोई लाभ नहीं हुआ। अन्त में Senega के मदर टिंचर से लाभ हुआ। उच्च शक्ति के सेनेगा से भी कोई लाभ नहीं हुआ।

Bromium 30 – सूखा, ऐंठन के साथ, घड़घड़ाहट वाली खांसी के साथ अस्थमा में उपयोगी है। सांस लेने में कष्ट होता है। रोगी समुद्र या नदियों के नजदीक अच्छा अनुभव करता है, तथा शुष्क जलवायु में रोग में वृद्धि होती है। ऐसे में Bromium 30 की 2 बून्द दिन में 3 बार लेना है।

अस्थमा के रोगी में एक लक्षण आती है कि थोड़ा सा चलने से साँसे फूलने लगती है, सीढ़ी चढ़ने से साँसे फूलने लगती है, ऐसे रोगी को Bryonia 30 की 2 बून्द दिन में 3 बार दें, चलने से सांस फूलने की समस्या में बहुत आराम मिल जायेगा।

अस्थमा के रोगी में एक लक्षण आती है कि थोड़ी सी भी धूल में सांस लेने से दमा का कष्ट बढ़ जाता है और मलत्याग से दमा में आराम मिल जाता है। ऐसे रोगी को Pothos 30 की 2 बून्द दिन में 3 बार देना है।

कुछ मदर टीचर में दवाइयां बता रहा हूँ जिनका सेवन हमें करना ही है – Blatta orientalis q, Aspidosperma Q और Mephitis Q इन तीनो दवा की 8-8 बून्द आधे कप पानी में डाल कर दिन में 3 बार हमें पीना है। तीनो के विषय में थोड़ा-थोड़ा जान लेते हैं।

Blatta orientalis Q – यह अस्थमा के लिए उत्कृष्ट औषधि है। रोगी का रोग बरसात में बढ़ जाता है, बलगम बनता है। एक्यूट केस में मदर टिंचर बहुत अच्छा काम करती है।

Aspidosperma Q – यह फेफड़ों के लिए टॉनिक है। यह रक्त में ऑक्सीजनीकरण के अवरोध को समाप्त करता है। यह ह्रदय रोग के कारण होने वाले अस्थमा में भी बहुत उपयोगी दवा है।

Mephitis Q – यह दमा के हमले को रोकता है। काली खांसी की भी यह एक उत्तम दवा है।

इसलिए इन तीनो दवा को मदर टिंचर में 8-8 बून्द आधे कप पानी डाल कर दिन में 3 बार लेना है।

अस्थमा की दवाइयां और भी हैं जैसे ambra grisea – सम्भोग के समय दमा आने में उपयोगी है, arum-triph – एलर्जिक अस्थमा में उपयोगी है, Cina – पेट में कीड़े के कारण ऐसा हो तो दिया जाता है। ऐसे ही कई और दवाइयां हैं जो दमा में बहुत अच्छा काम करती है।

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