Sanicula Aqua 30 Uses, Benefits And Side Effects In Hindi

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कैल्केरिया, साइलीशिया आदि की तरह सैनिक्यूला भी एक गम्भीर क्रिया करने वाली anti-psoric औषधि है। कैल्केरिया, साइलीशिया और सल्फर के साथ यह औषधि बहुत कुछ मिलती जुलती है। इसमें सोने की अवस्था में बच्चों के सिर में पसीना बहुत निकलता है और दूर तक तकिया भीग जाता है। बच्चा जिद्दी और चिड़चिड़ा होता है, वह छूने तक से नाराज हो जाता है (एन्टि क्रूड, एन्टि टार्ट, सिना ) । बच्चों को सूखे की बीमारी हो जाने पर यह औषधि विशेष उपयोगी है, बच्चा दिन प्रति दिन दुबला और सूखता जाता है, गर्दन में झुर्रियां पड़ जाती हैं। अत्यंत जाड़े के मौसम में भी बच्चा रजाई को पैर से फेंक देता है।

रोगी के पैर में जलन होती है, रजाई के बाहर या ठण्डी जगह पर रखने को मजबूर होता है। पाँव से बदबूदार पसीने का आना, इसका एक विशेष लक्षण है। खोपड़ी की खाल, भौं और दाढ़ी पर छिलकेदार रुसी बहुत पैदा होती है।

लैक-कैन और पल्स की तरह इसके लक्षण हमेशा तबदील होते रहते हैं। Cocculus की तरह इसमें भी गाड़ी की सवारी से जी मिचलाहट और कै होती है। बार-बार थोड़ा पानी पीना और पेट में पहुँचते ही उसका कै हो जाना, इसका एक विशेष लक्षण है।

कैल्केरिया कार्ब की तरह SANICULA AQUA रोगी का लगातार एक रोजगार को छोड़कर दूसरा रोजगार शुरू करने का स्वभाव होता है।

कब्ज ( Constipation ) – नीचे अंतड़ियाँ में जब तक बहुत सा मल इकट्ठा नहीं होता, पाखाने की हाजत नहीं होती ; बहुत काँखने से थोड़ा सा मल निकल के फिर मलद्वार के अंदर घुस जाता है। भेड़ की मेंगनी की तरह जम जाते हैं, उनको ऊँगली से कुरेद कर निकालना पड़ता है ( सेल )।

दस्त ( Diarrhoea ) – दस्त का रंग बदलता रहता है, झाग सा, घास की तरह हरे रंग का मल, खाने के बाद ही खाते-खाते पाखाने को दौड़ने आवश्यकता का होना, इसका एक विशेष लक्षण है। बच्चे को कितना ही धुलाया जाए, मल की बदबू नहीं जाती।

मलद्वार से पोते के नीचे तक सीवन में घाव ( सल्फ ) ।

खारी पानी की मछली के तरह अत्यंत बदबूदार प्रदर ( Leucorrhoea )। पाखाने के रास्ते से खारी मछली की सी बू वाले पानी का निकलना
कैल्केरिया कार्ब का लक्षण है। कान से खारी मछली की सी बू की तरह निकलना टेल्यूरियम का लक्षण है।

गर्भाशय का यंत्र निकल पड़ना – रोगिणी ख्याल करती है कि गर्भाशय के सब यंत्र योनि द्वार से बाहर निकल पड़ेंगे, इसलिए वह हाथ से भग को दबाए रहती है। चलने से, पैर चूक जाने से या धक्के से रोग में वृद्धि होती है, स्थिर रहने से आराम मिलता है।

पेशाब और पाखाना रुकता है, अपने आप निकल पड़ता है ; वायु ख़ारिज होने के साथ भी निकल पड़ता है। मल को रोकने के लिए एक टाँग को दूसरी टाँग के ऊपर रखना पड़ता है।

सम्बन्ध – एब्रोटे, ऐलो, ऐलूम, आर्स, बोर, कैल्के, ग्रैफ, हिपर, लैक, लिलि, मेडो, म्यूरेक्स, नेट्रम-म्यूर, फॉस, सोरि, सेले, साइली, सल्फ, टेल्यूरि, थूजा आदि बड़ी एन्टी सोरिक औषधियों के साथ सम्बन्ध है। इस औषधि की क्रिया अत्यंत गूढ़ है, इसे खूब समझ कर पढ़ना चाहिए।

मात्रा – 30 शक्ति।

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