Sharirik Kamjori Ka ilaj In Hindi – कमजोरी का इलाज

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भारत का हर तीसरा चौथा व्यक्ति कमजोरी एवं दुबलेपन से पीड़ित है। इसका एक कारण गरीबी, भुखमरी, तंगहाली, खाने का अभाव, अधिक शारीरिक एवं मानसिक श्रम और खान-पान में उचित पोषक तत्त्वों का अभाव हो सकता है। भली-भांति शारीरिक परीक्षण करने पर बहुत-से रोगियों में डायबिटीज, टी.बी., आमाशय-आंतों के रोग, परजीवी कीड़े, खून में कमी जैसी व्याधियां पाई जाती है। समुचित उपचार करने पर कमजोरी दूर करने में आशातीत सफलता मिलती है।

कमजोरी महसूस करने के कुछ अन्य महत्त्वपूर्ण कारण इस प्रकार हैं –

हृदय रोगों से कमजोरी : बच्चों में जोड़ों के दर्द तथा बुखार से उत्पन्न हृदय रोग के कारण संकरे हुए हृदय के वॉल्व से, कोरेनरी हृदय रोग से, उच्च रक्तचाप से, वायरल बुखार के हृदय की मांसपेशी पर दुष्प्रभाव से, फेफड़ों के कोष्ठों की सूजन से एवं फेफड़ों के दीर्घकालिक रोगों से जब हृदय फेल होने लगता है, तो रोगी कमजोरी की शिकायत करते हैं। हृदय फेल्योर के रोगी में कुछ अंग्रेजी दवाओं लेसिक्स वगैरह के दुष्प्रभाव भी होते हैं। ऐसे रोगियों को अल्कोहल तथा अल्कोहल प्रधान टॉनिकों से बचना चाहिए। रोगी को आराम कराकर कम नमक वाला सुपाच्य भोजन दें और त्वरित उपचार कराएं।

गुर्दा फेल होने से कमजोरी : गुर्दो के दीर्घकालिक संक्रामक रोग (क्रोनिक पाइलो नेफराइटिस); गुर्दे की पुरानी सूजन (नेफराइटिस), दोनों गुर्दो में पथरियां (स्टोन्स), मूत्रवाहिनी (यूरेटर) में पथरियां, डायबिटीज का गुर्दो पर दुष्प्रभाव, प्रोस्टेट ग्रंथि का बढ़ा हुआ आकार समुचित उपचार के अभाव में धीरे-धीरे गुर्दो की कार्यप्रणाली को नष्ट करके उनकी कार्यक्षमता घटाते रहते हैं, जिससे क्रॉनिक रीनल फेल्योर की दशा उत्पन्न हो जाती है, जिसमें रोगी अत्यधिक कमजोरी के अलावा बहुत कम मूत्र होने, खून की कमी, जी मिचलाना, उल्टियां होना, भूख नहीं लगना, छाती में दर्द, घबराहट, सिरदर्द, हाथ-पैरों में दर्द एवं हाथ-पैरों में अवांछनीय गति इत्यादि की शिकायत करते हैं। प्राय: इन रोगियों का ब्लडप्रेशर अधिक मिलता है और त्वचा का रंग पीला बादामी-सा हो जाता है तथा रक्त में ब्लड यूरिया एवं क्रिटेनीन जैसे विषैले तत्त्वों की मात्रा बढ़ने के साथ-साथ शरीर में सूजन भी आ जाती है। इन रोगियों को भी शराब तथा प्रोटीनयुक्त टॉनिक नहीं लेने चाहिए. बल्कि ग्लूकोज, चीनी व चावल लाभदायक माने जाते हैं।

संक्रामक रोगों से कमजोरी : लिवर, आंत, मूत्र तंत्र, श्वसन तंत्र, स्रायु तंत्र में दीर्घकालीन संक्रामक रोग होने पर संक्रमण करने वाले बैक्टीरिया, वायरस, प्रोटोजोआ कुछ विषैले पदार्थों का स्राव करते हैं, जिनसे भूख कम हो जाती है और रक्त भी ठीक प्रकार से नहीं बन पाता, जिससे रोगी कमजोरी बने रहने की शिकायत करते हैं। ऐसी स्थिति में संबंधित संक्रामक रोग का उचित उपचार आवश्यक है।

कैंसर से कमजोरी : लिवर, आमाशय, बड़ी आंत, गुर्दा, बच्चेदानी, फेफड़े, हड्डी इत्यादि के कैंसर के रोगी विभिन्न कारणों से कुछ महीनों से कमजोरी रहने की शिकायत करते हैं। इनका संदेह होने पर रोगी की भली-भांति शारीरिक परीक्षा करवानी चाहिए। ल्युकीमिया (रक्त कैंसर) के निदान के लिए रक्त की जांच आवश्यक है।

कुछ दवाओं से भी कमजोरी : आवश्यकता से अधिक इंसुलिट के सेवन से, कुछ अंग्रेजी दवाओं-जैसे लेसिक्स आदि के अधिक प्रयोग से, स्टीरॉयड दवाओं के अनाप-शनाप सेवन से भी रोगी कमजोरी की शिकायत करते हैं। इसलिए उपरोक्त दवाओं का अधिक प्रयोग हितकर नहीं है।

मानसिक रोगों में कमजोरी : डिप्रेशन, शिजोफ्रेनिया, घबराहट इत्यादि से रोगी कमजोरी बने रहने की शिकायत करते हैं, जिनका उपचार मूल कारण के अनुसार ही करना ठीक रहता है, न कि कैप्सूल अथवा टॉनिक आदि का सेवन करना।

कैसे दूर करें दुबलापन : वैसे यदि उपरोक्त वर्जित कारणों का निराकरण कर दिया जाए, तो काफी हद तक कमजोरी और दुबलेपन से छुटकारा मिल सकता है, किन्तु इन सबके साथ ही यदि हम अपने आहार-विहार पर अधिक ध्यान दें, दिनचर्या को व्यवस्थित रखें, हल्के-फुल्के व्यायाम करते रहें, तनावयुक्त रहते हुए हँसते-हँसते रहें, तो कमजोरी एवं दुबलेपन से निजात पाई जा सकती है।

सदैव भूख लगने पर ही खाएं,खूब चबा-चबाकर खाएं, भूख से सदा थोड़ा कम खाएं, भोजन के साथ पानी कम लें, अधिक मिर्च-मसाले का भोजन न करें, चाय, कॉफी, ठंडे पेय से बचे, तली हुई चीजों का पूर्ण त्याग करें, चाय-चीनी, चिकनाई कम लें, चोकरयुक्त आटे की रोटी खाएं, दालें छिलकायुक्त खाएं, सब्जियां सादी रीति से बनाकर खाएं, सलाद (नीबू, खीरा, ककड़ी, गाजर, मूली, अदरक आदि) अधिक खाएं, प्रातः काल नाश्ते में अंकुरित मुंग-चना और दलिया लें, प्रातः सोकर उठने के बाद पानी पिया करें, दिनभर पानी खूब पियें, तीसरे पहर मौसम के फल लें, रात में सोते समय दूध लें, दोपहर को रोटी, दाल, सब्जी व दही लें, रात्रि में रोटी एवं सब्जी लें, हरी सब्जियां अधिक खाएं, तली हई वस्तुएं अधिक खा लेने अथवा अन्य कोई अनाप-शनाप वस्तु खा लेने के बाद उपवास करें।

प्राकृतिक चिकित्सकों का मत है कि वजन बढ़ाने के लिए दो-तीन दिन सिर्फ फलाहार करें। फलों के साथ चोकर मिलाकर खाएं, कब्जं दूर करने के लिए पपीता खाएं। फलाहार से भूख अधिक लगती है, पाचन-शक्ति बढ़ती है।

शिथिलता, दुबलापन एवं कमजोरी दूर करने में व्यायाम का महत्त्व आहार से कम नहीं है। हल्के-फुल्के व्यायाम, जैसे प्रात:काल में ‘जॉगिंग’ करना, हल्के-फुल्के खेल (बैडमिंटन, टेबल टेनिस, फुटबाल आदि) थोड़ी देर खेलना सेहत के लिए फायदेमंद होता है।

नशीली वस्तुएं-जैसे चाय, तम्बाकू, बीड़ी, सिगरेट, पान, शराब आदि से अनेक व्याधियां हो जाती हैं और स्वस्थ व्यक्ति भी दुबला होता जाता है। अश्लील साहित्य एवं चिंतन भी न सिर्फ मानसिक, बल्कि शारीरिक स्वास्थ्य को भी शिथिल करता है।

कमजोरी का होमियोपैथिक इलाज

चूंकि होमियोपैथिक चिकित्सा पद्धति में रोग के नाम से ज्यादा रोग एवं रोगी के लक्षणों का अधिक महत्त्व है। अतः लक्षणों के आधार पर कमजोरी एवं दुबलेपन की निम्न औषधियां अत्यधिक कारगर रही हैं –

यदि दस्त वगैरह की वजह से कमजोरी हो, तो ‘चाइना’
किसी रोग के बाद कमजोरी हो, तो ‘एवेना सैटाइवा’
भूख न लगती हो, तो ‘एल्फा-एल्फा’, ‘रसटॉक्स’
बुखार वगैरह हो, तो ‘आर्सेनिक’, ‘ब्रायोनिया’
मांसपेशियों में टूटन हो, दर्द हो, तो ‘बेलिस पेरेनिस’; पिकारिक एसिड’
गर्भाशय संबंधी परेशानी की वजह से कमजोरी हो, तो ‘सीपिया’,
हृदय संबंधी रोगों के कारण कमजोरी हो, तो ‘डिजिटेलिस’,’जेलसीमियम’
रतिरोगों के कारण कमजोरी एवं दुबलापन हो, तो ‘एग्नसकैस्टस’, ‘फॉस्फोरिक एसिड’
गुर्दे संबंधी परेशानी हो, तो ‘लाइकोपोडियम’, ‘बरबेरिस’
हारमोन स्राव की गड़बड़ी से कमजोरी जुड़ी हो, तो ‘बेरयटकार्ब’, ‘आयोडियम’, ‘थायरोइडिनम’
नसों संबंधी परेशानी के कारण कमजोरी महसूस होती हो, तो ‘फाइवफॉस’, ‘कालीफॉस’
रक्तहीनता के कारण कमजोरी व दुबलापन हो, तो ‘चाइना’ व ‘फेरमफॉस’ एवं ‘नेट्रमम्यूर’ औषधियां उपयोगी एवं अत्यंत लाभप्रद हैं।

• प्राणशक्ति लगभग जा चुकी हुई, त्वचा ठंडी, रोगी मृतप्राय पड़ा रहता है, नाड़ी अनियमित, त्वचा पर नीलापन, बिना तेज पंखे की हवा के रोगी सांस ले ही नहीं सकता। कभी-कभी काला रक्तस्राव, मसूड़ों से, नाक से खून, गैस अधिक बनना, चेहरा पीला होना आदि लक्षण मिलने पर ‘कमजोरी’ की प्रचण्ड अवस्था में ‘काबोंवेज’ उक्त दवा 3 × से 200 शक्ति में देनी चाहिए। इसके अलावा ‘म्यूरियाटिक एसिड’ और ‘आर्सेनिक’ भी कमजोरी की उत्तम दवाएं हैं। ये 30 शक्ति में लें।

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8 Comments
  1. Anil Grover says

    Please advise the medicine for Suger patient. Taste of mouth is very bad.constipation and weakness.

    1. Dr G.P.Singh says

      Don’t be dis hearten. Every thing is possible in this world if you try patiently. you write to us your problem as we want for facilitating in the direction of selection of medicine to be beneficial for you. For this either you try to write us in detail or try to meet the doctor at Patna. For immediate relief you may try Sulpher 1M at 7 days interval and Nux vom 30 at bed time and Sizizium Zambolin Q 10 drops thrice daily. May God bless you.

  2. kapil kumar says

    Face me kali jhaiya..room cheedra ..aur masse ho gaye h ..plz sar help me

    1. Dr G.P.Singh says

      Don’t be dis hearten. Every thing is possible in this world if you try patiently. you write to us your problem as we want for facilitating in the direction of selection of medicine to be beneficial for you. For this either you try to write us in detail (ie details of your disease, your ht. your colour your age,effect of coldness and heat, hurydness, fear, anger,sensitivity etc. or try to meet the doctor at Patna. For immediate relief you may try Thuja 200 at 7 days interval, Antim Crud 30 in morning and Nux Vomica 30 at bed time daily . May God bless you.

  3. RITU says

    Age 24
    Pain in the hands and feet is continuous, there is more pain on the left hand and leg
    Feeling weakness all the time,
    Do not feel like getting up to the patient

    3 months from now, the fever had come in the typhoid but only 1 month ago,
    There is currently no fever
    ,
     Color blonde, height 5.4 weight normal
    Feeling pom
    Due to the uterus being small,
    Do not have periods
    Sir please tell us medicine as soon as possible

    1. Dr G.P.Singh says

      If you have gone through sudden sock or suppressed your anger you may use Staphesagria 30 once in morning daily or you may use Belladona 30 and Pulsetila 30 if your periods are not regular. Try to explain nature of your disease and your body. May God bless you.

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