टिलिया यूरोपा [ Tilia Europaea 30 ch Benefits And Uses In Hindi ]

627

इस औषधि का प्रयोग अस्थि-गव्हर के रोग, प्रसवोत्तर जरायु शोथ, पतले, फीके रक्त का स्राव, अक्षि-पेशी की कमजोरी में किया जाता है।

सिर, आँख – रोगी को ऐसा लगता है जैसे आंखों के सामने कोई बारीक कपड़ा लगा हुआ है, युग्म दृष्टि असम्पूर्ण, अत्यधिक छींकें, साथ ही नाक से रक्तस्राव होना। स्नायुशूल पहले दाईं तरह फिर बाईं तरफ होता है।

त्वचा – नींद आते ही बहुत पसीना आने लगता है। छोटी-छोटी लाल फुंसियां, दाने निकलते हैं, आमवादी वेदनाओं के बढ़ने के साथ ही पसीने की मात्रा भी बढ़ने लगती है। ज्यादा खुजली और खुजाने के बाद तेज जलन होती है।

स्त्री – बाह्य जननांगों की क्षतवत व्यथा और लालिमा, चलते समय चिपचिप प्रदरस्राव होता रहता है। जरायु के चारों ओर तेज दुखन की अनुभूति, गर्म पानी, परन्तु उससे भी आराम नहीं होता। अस्थि-गव्हर का प्रदाह इत्यादि।

सम्बन्ध – बेला, लिलियम।

मात्रा – मूलार्क से 6 शक्ति।

Ask A Doctor

किसी भी रोग को ठीक करने के लिए आप हमारे सुयोग्य होम्योपैथिक डॉक्टर की सलाह ले सकते हैं। डॉक्टर का consultancy fee 200 रूपए है। Fee के भुगतान करने के बाद आपसे रोग और उसके लक्षण के बारे में पुछा जायेगा और उसके आधार पर आपको दवा का नाम और दवा लेने की विधि बताई जाएगी। पेमेंट आप Paytm या डेबिट कार्ड से कर सकते हैं। इसके लिए आप इस व्हाट्सएप्प नंबर पे सम्पर्क करें - +919006242658 सम्पूर्ण जानकारी के लिए लिंक पे क्लिक करें।

Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.

पुराने रोग के इलाज के लिए संपर्क करें