ट्यूबरकुलिनम [ Tuberculinum Uses, Benefits In Hindi ]

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Tuberculinum Homeopathy Uses & Benefits

[ यह यक्ष्मा रोगी के फेफड़े के जख्म के पीब से तैयार होता है] – किसी भी बीमारी में खासकर श्वासयन्त्र की बीमारी में सर्दी-खाँसी, बार-बार

धीमा बुखारा, खुसखुसी खाँसी, खाँसी के साथ खून निकलना, जल्दी-जल्दी दुर्बल और कृश होते जाना, काम-काज़ करने की इच्छा न होना इत्यादि लक्षण रहने और यक्ष्मा का संदेह होने पर या जिनके पूर्व पुरूषों में यक्ष्मा का इतिहास मिलता हो, उनकी बीमारी में इसकी 200 या और भी ऊँची शक्ति की एक मात्रा के प्रयोग से बहुत कुछ फायदा हो जाता है । Tuberculinum में – रोग लक्षण बहुत ही बदला करते हैं अर्थात्-बीमारी आज एक यन्त्र में, कल दूसरे यन्त्र में, इसी तरह एक के बाद दूसरी सभी इन्द्रीयों पर बीमारी का आक्रमण होता है।

इसका मानसिक लक्षण – उदासी, निराश, चिड़चिड़ा, किसी के साथ बात नहीं करना, मानसिक परिश्रम करने की इच्छा न होना, रोना-किन्तु कारण नहीं जानता, उम्र की तुलना में बुद्धिमान, जीवन भार मालूम होना, परिचित स्थान व वस्तु ऐसा मालुम होना जैसे अपरिचित है । रात को दुशचिन्ता, स्वप्न में छाया मूर्ति देखता है।

Tuberculinum के रोगी को जरा-सी सर्दी में ही ठण्ड लग जाती है। रोगी समझ नहीं पाता कि किस तरह सर्दी लग गयी। सामान्य ऋतु- परिवर्तन से ही बीमारी हो जाती है, ज़रा-सी सर्द हवा लगते ही सर्दी हो जाती है, किसी दवा की भी स्थायी क्रिया नहीं होती है। ठीक-ठीक चुनी हुई दवा भी फायदा नहीं करती।

निमोनिया, ब्रोन्को-निमोनिया, यक्ष्मा, रोगी के फेफड़े का कन्जेशन, लोबर निमोनिया, इन्फ्लुएंजा-रोग में- ब्रोंकाइटिस, लगातार गला खुसखुसाकर खाँसी, गले में दर्द, नयी प्रादाहिक सर्दी, खाँसी प्रभृति फेफ़ड़े से सम्बन्ध रखने वाली कितनी ही बीमारियों में जब किसी भी चुनी हुई दवा से फायदा नहीं होता, उस समय इसके सेवन से बहुत फायदा होता है। इससे कमजोरी दूर होती है, कफ का परिमाण घटता है, भूख बढ़ जाती है और इन्द्रिय सबल होती है, संकरी छाती, रोगी रक्तहीन, दुबले-पतले व्यक्ति ही इसके क्षेत्र है ।

बैसीलीनम ( Bacillinum ) – यह दवा ट्यूबरकुलोसिस फेफड़े को पानी से तरकर तैयार की जाती है। इसके द्वारा बलगम में परिवर्तन हो जाता है और क्रमश: बलगम में पीब का भाग कम हो जाता है, फेफड़े में हवा जाने के कारण फेफड़ा साफ होता है। असली यक्ष्मा न होने पर भी फेफड़े की अगर कोई पुरानी बीमारी हो तो यह फायदा करती है। जिस बीमारी में ढेर-का-ढेर पीब की तरह बलगम निकलता है; श्वासकष्ट होता है, दमा की तरह खिंचाव होता है, उसमें और दमा की बीमारी में भी यह ज्यादा फायदा करती है ।

इसके रोगी को भी सर्दी सहन नहीं होती, जरा-सी ठण्ड पड़ते ही सर्दी लग जाती हैं, सर्दी-खाँसी, गला फंस जाना और गले में दर्द होता है ।

Mental Symptoms of Tuberculinum

आज मैं TUBERCULINUM के मानसिक लक्षण को आसान और छोटे शब्दों में समझाने का प्रयास करूँगा।

होम्योपैथी को अपने अस्तित्व में आए दो सौ वर्ष से ज़्यादा समय बीत चुका है परन्तु अभी भी कुछ दवाएँ ऐसी हैं, जिनके लिए हमने कुछ खास लक्षण ही निर्धारित कर रखे हैं और कुछ खास हालतों में ही इनको प्रयोग करते हैं जो कि होम्योपैथी के नियमों के विरुद्ध है। इनकी असली तस्वीर को कभी हमने जानने की कोशिश ही नहीं की। इन्हीं दवाओं में Tuberculinum का नाम भी आता है।

बहुत से होम्योपैथिक डाक्टर इसका प्रयोग तभी करते हैं जब परिवार में Tuberculosis का इतिहास हो या फिर उन के द्वारा चुनाव की गई दवा ठीक से काम न कर रही हो। किंतु जब हम इसे ध्यान से देखेंगे तो इसकी अपनी ही एक बड़ी साफ और स्पष्ट तस्वीर बनकर हमारे सामने आती है और फिर यह आम प्रयोग में लाई जाने वाली दवा बन जाती है।

इसका सबसे जरुरी लक्षण यह है कि इसका रोगी हर चीज़ में जल्दी-जल्दी बदलाव चाहता है और अपनी इसी बदलाव वाली सोच के कारण ही वो एक स्थान से दूसरे स्थान पर घूमता फिरता है और यात्रा करने का भी काफी शौकीन होता है।

Materia Medica के Mind Section में आप पायेंगे कि Tuberculinum वाला रोगी बहुत लम्बे समय तक एक डाक्टर से दवा भी नहीं लेता। वो जल्दी जल्दी डाक्टर बदलता रहता है। इसका कारण यह है कि वह एक चीज़ से जल्द ही ऊब जाता है और इसलिए बदलाव चाहता है ।

छोटी सी आयु में ही अकलमंदी जैसी बातें करने वाला, आशाजनक, होनहार किन्तु बहुत ही भयानक गुस्से वाला इन्सान होता है। कभी कभी अचानक ही उसे गुस्से के दौरे पड़ते हैं और फिर वह गुस्से में चीज़ों को उठा कर फेंकता है। गुस्से में जो चीज़ भी उसके हाथ लग जाए, उसे ही वह सामने वाले व्यक्ति पर उठा कर फेंकता है। फिर वो किसी की परवाह नहीं करता। यदि चीज़ सामने वाले व्यक्ति को छू गई तो ठीक, नहीं तो क्रोध में अपने आप को ही सजा देने लगता है। जैसे अपने ही सिर को ज़मीन से पटकना, अपने ही बाल नोचना, अपने आप को ही दाँतों से काटना / दूसरों से बदला लेने की भावना सदैव उसमें बनी रहती है। दु:ख या क्रोध में किसी के बाल खींचना या अपने ही बाल नोचना Tuberculinum का विशेष लक्षण है। गुस्से में डराना, धमकी देना घर से भाग जाने की और कई बार ऐसा कर भी लेता है। गुस्से में दूसरों को गलत बोलता है, गाली देता है, और तोड़-फोड़ भी करता है। गुस्से स्वभाव वाला इन्सान होने के बावजूद भी वो बिल्लीयों, कुत्तों और किसी बुरी घटना के घटित होने से डरता है। काफी मेहनत करने वाला इन्सान है और कभी भी खाली नहीं बैठता, कुछ न कुछ करता रहता है।

बाद की दवा – कैल्के फॉस, कैल्के कार्ब, सिपि ।

क्रम – 200 या इससे ऊँचा ।

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