यूरिक एसिड बढ़ने की समस्या का होम्योपैथिक इलाज | Uric Acid Badhne Ki Samasya Ka Homeopathic Medicine aur Treatment In Hindi

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इस लेख में हम यूरिक एसिड बढ़ने से होने वाली परेशानियों और उसकी होम्योपैथिक दवा की चर्चा करेंगे कि किस होम्योपैथिक दवा से यूरिक एसिड की समस्या जड़ से ठीक हो जाती है।

ब्लड में बढ़े हुए यूरिक एसिड के साथ गठिया और आर्थराइटिस के इलाज में होमियोपैथी दवा को सबसे सर्वश्रेष्ठ कहा जाता है। होमियोपैथी दवा सिर्फ बढ़े हुए यूरिक एसिड के लेवल को ही कम नहीं करता बल्कि रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है।

प्रोटीन के दोषपूर्ण मेटाबोलिज्म के कारण अधिक मात्रा में यूरिक एसिड उत्पन्न होने लगते हैं। जब ब्लड में यूरिक एसिड का स्तर अधिक हो जाता है तो शरीर की जोड़ों में दर्द, सूजन, कट-कट की आवाज, गठिया-वात, आर्थराइटिस जैसी समस्या पैदा हो जाती हैं।

यूरिक एसिड बढ़ने के लक्षण और कारण के विषय में में अधिक बात न करते हुए हम अब होम्योपैथिक दवा की चर्चा करेंगे कि कौन सी दवा बढ़े हुए यूरिक एसिड को ठीक करने में सबसे अधिक सहायक है।

सबसे पहली दवा है Colchicum 6x – गठिया वात के दर्द में और यूरिक एसिड के स्तरों को नियंत्रित करने में यह दवा सबसे अच्छा काम करती है। पैर की एड़ी में दर्द होना, जोड़ों में सूजन, दर्द का स्थान लाल रहना, चलने में कठिनाई जैसे लक्षण दीखते हैं। इसमें अंगुली, कलाई जैसे छोटे जोड़ अधिक प्रभावित रहते हैं, मांसपेशिओं में भी कमजोरी महसूस होती है। Colchicum के लक्षण वाले रोगी की संधियां जकड़ जाती हैं। जगह बदल-बदल कर जोड़ों में दर्द होता है, कभी-कभी बुखार रहता है, पैर के अंगूठे, एड़ी में छूने या चलने से दर्द होता है। घुटने आपस में टकराते हैं, चलना मुश्किल हो जाता है, सूजन और जोड़ों में ठंडापन भी महसूस होता है। वृद्धावस्था में हाथ पैर फूल जाना और पेशाब में एल्ब्यूमेन पाया जाना, इसमें भी यह दवा उत्तम काम करता है। ऐसा लक्षण हो तो Colchicum 6x पोटेंसी का सेवन दिन में 2 बार जरूर करें। बहुत अधिक लाभ प्राप्त होगा।

दूसरी दवा है Ledum pal 30 – यह उच्च स्तर पर बढ़े हुए यूरिक एसिड को ठीक करने की बेहतरीन होम्योपैथिक दवा है। इसके रोगी को दर्द नीचे से ऊपर की ओर जाता रहता है। यह दवा गाउट और दुसरे जोड़ों के दर्द की बहुत अच्छी दवा है। इसमें रोगी के पैर में सूजन होता है, चलने पर दर्द होता है। यह एक ठण्डे धातु की दवा है जिससे इसके सभी लक्षण ठंडक से सम्बन्ध रखता है। लिडम के मरीज में घुटनों तक पांव की सूजन, चलने में ऐसा दर्द जैसे मोच आ गई हो, पांव के अंगूठे में अत्यंत दर्द के साथ सूजन रहता है। ऐसे लक्षण पे Ledum pal 30 पोटेंसी की 2 बून्द सुबह और शाम जीभ पर टपकाया करें। बहुत लाभ मिलेगा।

तीसरी दवा है Guaiacum 30 – यह दवा भी उच्चस्तरीय यूरिक एसिड के कारण उत्पन्न विकृतियों में दिया जाता है, जिन्हे गर्मी बर्दास्त नहीं होती। उच्चस्तरीय यूरिक एसिड के पुराने रोगों में Guaiacum बहुत अच्छा काम करता है। घुटना फुला हुआ, रोगी को गर्मी सेहन नहीं होती, तथा शरीर से बुरा गंध आता है। जोड़ों को छूने से बहुत गर्म महसूस होते हैं। Guaiacum के मरीज को सिर से गर्दन तक दर्द होता है। गर्दन के जोड़ में दर्द, गर्दन अकड़ी हुई और कंधे में भी तकलीफ रहती है। जोड़ों में अकड़न के करण हाथ-पैर हिलना डुलाना कठिन हो जाता है। ऐसा लक्षण पे Guaiacum 30 पोटेंसी की 2 बून्द सुबह और शाम जीभ पर टपकाया करें। बहुत लाभ मिलेगा।

चौथी दवा है दो दवा का मिश्रण है Benzoic acid Q + Urtica urens Q – यूरिक एसिड बढ़ा हुआ हो, जोड़ो में दर्द हो, पेशाब भूरे रंग का बदबूदार हो तो इस दो दवा को बराबर मात्रा में मिला कर एक अलग सीसी में रख लें। फिर इस दवा की 20 बून्द को आधे कप पानी में डालकर दिन में 3 बार सेवन करें, बहुत अधिक फायदा होगा।

अंतिम दवा में Uric acid 200 – इसका पूरा नाम Acid Uricum है। यह होमियोपैथी की एक नई दवा है। शरीर में यूरिक एसिड की अधिकता से उत्पन्न गठिया, वात, आर्थराइटिस और जोड़ो के दर्द में लाभदायक है। Uric acid को शरीर से निकालने में भी सहायक है।

लक्षण मिलने पर आप दवा का उपयोग निःसंकोच कर सकते हैं, समझने में कुछ समस्या आये तो बाएं ओर व्हाट्सप्प न. पे हमसे संपर्क भी कर सकते हैं।

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