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Piles Treatment In Hindi – बवासीर का इलाज़

इसमें मलद्वार के बाहर या भीतर सूजन के साथ मस्से हो जाते हैं। कभीकभी मलद्वार के बाहर व भीतर- दोनों ओर भी ये मस्से हो जाते हैं । साथ में मलद्वार में खुजली, जलन, सुरसुराहट, दर्द आदि लक्षण भी रहते हैं । पुरानी कब्ज, हृदय-रोग, यकृत में खून की…

Enlarged Liver Treatment In Hindi – यकृत का बढ़ जाना

छाती के दाँये ओर वाली पसलियों के नीचे की हड्डी के समीप से ऊपरी पेट के अग्रखण्ड के नीचे के स्थान तक यकृत नामक अंग होता है । यकृत में खून ज्यादा हो जाने अथवा हृदय या फेफड़े के रोग होने अथवा अन्य विविध कारणों से यकृत बढ़ जाता है । इसी दशा को…

Gastritis Treatment In Hindi – प्रकाशय प्रदाह

इस रोग में पाकस्थली की श्लैष्मिक झिल्ली में प्रदाह हो जाता है। इसमें भोजन करने के कुछ देर बाद पेट में अशान्ति व तीव्र दर्द होता है । फिर मिचली, वमन, खट्टी डकारें आना, अफारा आदि लक्षण दिखाई देते हैं तथा पित्त, श्लेष्मा व अनपचे भोज्य पदार्थ…

Hiccough Treatment In Hindi – हिचकी

सामान्यतः व्यक्ति को हिचकियाँ आती रहती हैं जो थोड़ी देर में या तो स्वतः ही रुक जाती हैं या पानी पीने पर बन्द हो जाती हैं लेकिन ऐसी हिचकी हानिप्रद नहीं होती । लेकिन बार-बार हिचकी आने की प्रवृत्ति बन जाये तो यह भी एक प्रकार का रोग है । किसी…

Pet Me Khaali pan ka Anubhav

फॉस्फोरस 30, 200- इस दवा के रोगी को सारी पाकस्थली खालीसी मालूम पड़ती है, रोगी बार-बार खाता है, विशेषकर रात्रि में रोगी बिना खाये नहीं रह सकता । रोगी बार-बार खाता है परन्तु थोड़ी देर बाद पेट पुनः खाली हो जाता है तथा रोगी को तुरन्त ही भूख का…

Ascities Treatment In Hindi – पेट में पानी

इस रोग में रोगी के पेट में पानी एकत्रित हो जाता है जो मूत्र आदि के द्वारा निकल नहीं पाता है । इस वजह से रोगी का पेट फूलता जाता है और सामान्य आकार से बड़ा हो जाता है । इस रोग में रोगी का मूत्र बन्द या कम हो जाता है, कब्ज रहती है, हृदय तेजी…

Colic Treatment In Hindi – पेट में दर्द

पेट में दर्द होने की ही पेट-दर्द कहा जाता है । पेट में दर्द होने के कारणों में- गरिष्ठ पदाथाँ का अधिक सेवन करना, मीठे पदार्थ ज्यादा खाना, तले पदार्थ ज्यादा खाना, कब्ज, गैस बनना आदि प्रमुख हैं । पेट में दर्द लगातार बहुत समय तक होने से रोगी…

Dysentery treatment In Hindi – पेचिश

इस रोग में व्यक्ति को ऑव या रक्त मिले दस्त बार-बार आते हैं और रोगी के पेट में मरोड़ने की भाँति का दर्द होता रहता है । यह रोग मुख्यतः दूषित पदार्थों का सेवन करने, दूषित पानी पीने, दूध का सदैव खाली पेट खाने आदि के कारण होता है । एकोनाइट 30–…

Diarrhoea Treatment In Hindi – दस्त लगना

बार-बार और जल्दी-जल्दी पतला शौच आने को ही दस्त लगना कहते हैं । इसमें पेट-दर्द, गैस बनना, कमजोरी आ जाना आदि लक्षण रहते हैं। अगर यह रोग अधिक समय तक बना रहे तो शरीर में पानी की कमी हो होते जाना आदि लक्षण और उत्पन्न हो जाते हैं । दस्त मुख्यतः…

Constipation Treatment In Hindi – कब्ज़

सामान्यतः खुलकर सही रूप से शौचन आने को ही कब्ज कहा जाता है । कब्ज एक ऐसा रोग है जिसके हो जाने से अनेक अन्य रोग भी स्वयं ही उत्पन्न हो सकते हैं जैसे- पेट में भारीपन, पेट-दर्द, गैस बनना, सिर दर्द, मुँह से बदबू आना, आलस्य, अनिद्रा आदि । कब्ज…

Dyspepsia Treatment In Hindi – भूख न लगना

यह रोग अजीर्ण-रोग का ही अगला हिस्सा है अर्थात् जब अजीर्ण-रोग पुराना हो जाये तो यह रोग उत्पन्न होता है । जब भोजन का पचना बन्द हो जाता है तो आगे जाकर मन्दाग्नि उत्पन्न हो जाती है । जब पुराना भोजन ही न पचेगा तो नये के लिये भूख कहाँ से लगेगी-…

Indigestion Treatment In Homeopathy – अपच

खाये हुये पदार्थों के ठीक से न पच पाने का नाम ही अजीर्ण है । इस रोग में भोजन न पचने के कारण डकार आती हैं, छाती में जलन होती है, वमन की इच्छा रहती है, गैस बनती है, आलस्य आता है और अनिद्रारोग हो जाता है । यह रोग मुख्यतः ज्यादा खाने और…

Angina Pectoris Treatment – हृदय शूल का इलाज़

इस रोग में हृदय में दर्द होने लगता है जो पिछले हिस्से तक फैलता जाता है । छाती में जलन, जी मिचलाना, कमजोरी, नाड़ी का अनियमित हो जाना, साँस लेने में कठिनाई आदि लक्षण प्रकटते हैं । यह रोग मुख्यतः मादक पदार्थों के अति सेवन, अति भोजन, अति श्रम,…

Enlarged Heart Treatment – हृदय का बढ़ जाना

इस रोग में हृदय का आकार सामान्य से बड़ा हो जाता है जिससे यह भारी हो जाता है । इसमें नाड़ी की गति तेज हो जाना, साँस लेने में तकलीफ प्रकटते हैं । यह रोग मुख्यतः अत्यधिक शारीरिक परिश्रम करने और पर्याप्त पौष्टिक भोजन न मिल पाने से उत्पन्न होता…

Low Blood Pressure Treatment – निम्न रक्तचाप

इस रोग में शरीर में रक्त का दबाव अस्वाभाविक रूप से कम हो जाता है । इस रोग में आलस्य, उत्साह में कमी, स्मरण-शक्ति की दुर्बलता, कमजोरी, चिड़चिड़ापन, सिर-दर्द आदि लक्षण प्रकटते हैं । यह रोग मुख्यतः पौष्टिक भोजन की कमी, शारीरिक परिश्रम की…

Pneumonia Treatment In Homeopathy – निमोनिया का इलाज़

इस रोग में फेफड़ों में प्रदाह और सूजन आ जाती है। साथ ही, तेज बुखार, खाँसी, सीने में दर्द, साँस लेने में कष्ट होना, नाड़ी अनियमित, आँखों का सूज जाना, सिर-दर्द, पेशाब लाल रंग का होना आदि लक्षण प्रकट होते हैं । यह रोग मुख्यतः ठण्ड लग जाने,…

Pleurisy Treatment In Homeopathy

इस रांग मं फुफ्फुसावरण में जल का सचय हो जाता है और इसक दानां परदे कठोर होकर एक-दूसरे से सट जाते हैं जिससे फेफड़े पर तनाव हो जाता है। इसमें फेफड़ों में सुई चुभने की तरह का दर्द महसूस होता है, खाँसी उठती है, साँस लेने में परेशानी होती है,…

Tuberculosis Treatment Homeopathy – तपेदिक का इलाज़

यह रोग मुख्यतः पौष्टिक भोजन की कमी और धूल धुएँ भरे वातावरण में रहने से होता है । यही कारण है कि इस रोग से अधिकांशतः मजदूर वर्ग के लोग ही ग्रसित होते हैं । इसके अलावा- ताजी हवा-धूप न मिलने, मीठा ज्यादा खाने, नशा अधिक करने, अत्यधिक खाने आदि…

Students Mental Treatment In Homeopathy

याददाश्त का कमजोर होना- एनाकार्डियम 200, 1M- किसी बात का स्मरण न रहना, विद्यार्थी को पढ़ी हुई बातें याद न रहना या उसे भूल जाना याददाश्त की कमजोरी की सूचक है । रोगी को प्रत्येक बातें बीती घटनायें सी लगती हैं । भूली-भूली बातें याद-सी रहती हैं…

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