इसे सन् 1941 में विटामिन के वर्ग में रखा गया था। यह विटामिन बी कम्पलैक्स का एक सदस्य है जो शरीर में रिकेटशिया (Rickettsia) की वृद्धि को रोकता है, जूँ द्वारा प्रसारित ‘टाइफस फीवर’ और ‘राखी माउंटेन स्पॉटेड फीवर’ में लाभ पहुँचाता है तथा विविध बैक्टीरियाओं की वृद्धि को रोकता है ।
वानस्पतिक और प्राणि जगत में यह सर्वत्र व्यापक है । जीवाणुओं की वृद्धि के लिए आवश्यक किसी एन्जाइम श्रृंखला के लिए पैरा एमिनो बेन्जोइक एसिड आवश्यक है । इस औषध का प्रयोग मनुष्य के सफेद बालों की चिकित्सा के लिए किया गया, किन्तु कोई विशेष परिणाम प्राप्त नहीं हुए। रू मेटिज्म की चिकित्सा में कोर्टीसोन के प्रभाव को इस विटामिन द्वारा अधिक बलशाली बनाया जाता है । त्वचा के लिम्फो ब्लास्टोमा तथा माइकोसिस की चिकित्सा के निमित्त इसका प्रयोग लाभ के साथ किया गया है ।
यह विटामिन हरे पालक के शाक, पशु के यकृत, वृक्क, सोयाबीन के बीजों की मींगी इत्यादि में पर्याप्त मात्रा में रहता है ।
मात्रा – 25 से 50 मिलीग्राम अथवा आवश्यकतानुसार अधिक भी ।
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नमस्कार
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यदि है तो उसका तरिका ओर आप के चार्जेज
मैं जयपुर में रहता हूं
yadi fish tatha dawa ka dam a/c me bhejenge to Ilaj kiya jayega.