स्टैफिसैग्रिया के लाभ, उपयोग, लक्षण और एंटीडोट || Staphysagria Uses, Benefits Antidote In Hindi

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स्टैफिसैग्रिया का होम्योपैथिक उपयोग

( Staphysagria Homeopathic Medicine In Hindi )

(1) अपमान से क्रोध का घूंट पी जाने के कारण थकान, अनिद्रा, क्रोध से कांपने लगना, दस्त, पेट-दर्द, सिर-दर्द आदि किसी बीमारी का होना – स्वस्थ व्यक्ति का किसी से झगड़ा हो जाय, तो उसका मानसिक-संतुलन नहीं बिगड़ता, वह समझता है कि उसने जो कुछ कहा किया, वह ठीक किया और सब कुछ करके उसे भूल जाता है, परन्तु कई ऐसे व्यक्ति होते हैं जो झगड़ा होते ही गुस्से से आग-बबूला हो जाते हैं, और अगर उन्हें वह गुस्सा अपमान के कारण अन्दर-ही-अन्दर पी जाना पड़े तो उनकी नस-नस टूट जाती है, सिर से पांव तक कांपने लगते हैं, आवाज निकालने से नहीं निकलती, किसी काम को चित्त लगाकर नहीं कर सकते, नींद गायब हो जाती है, सिर-दर्द होने लगता है, किसी-किसी को दस्त आने लगते हैं। छोटे बच्चों को जब सजा दी जाती है, उन्हें मन के भीतर तो क्रोध आता ही है, उसे वे प्रकट नहीं कर सकते, इस अपमान को उन्हें दबाना पड़ता है और इस दबे क्रोध से वे पेट-दर्द या दस्तों के चिर रोगी हो जाते हैं। क्रोध से दर्द के लक्षण में कोलोसिन्थ तथा कैमोमिला भी उपयोगी हैं। कैमोमिला का क्रोध ‘चिड़चिड़ाहट’ का होता है, स्टैफिसैग्रिया का क्रोध ‘अपमान’ (insult) का होता है।

लोगों के जीवन में ऐसे भी अवसर आते हैं, जब उन्हें अपने अफसर की झाड़ खानी पड़ती है। मनुष्य समझता है कि उसका कोई दोष नहीं है, परन्तु उसका अफसर या अन्य कोई व्यक्ति उस से ऐसा व्यवहार करता है जिसके सामने उसे खून का घूंट पीकर रह जाना पड़ता है। अपमान सह कर जब उसके प्रतिकार करने का अवसर या साहस न हो, तो वह अपमान भीतर क्रोध का एक उबाल पैदा कर देता है जो बाहर न निकल सकने के कारण मनुष्य के स्नायु-मंडल को छिन्न-भिन्न कर देता है, गुस्से को रोक कर वह भीतर-ही-भीतर घुलता है। रातों में नींद नहीं आती, सारा शरीर थका-सा रहने लगता है, दिमाग काम नहीं करता, हफ्तों दफ्तर का बाबू इस अपमान को अन्दर दबायें अंकों का जोड़ना-घटाना नहीं कर सकता, लिखने में गलतियां करता है, बार-बार पेशाब आता है, ऐसा लगता है कि माथा सुन्न हो गया है। इसका एक विचित्र लक्षण यह है कि गुस्से की हालत में रोगी बार-बार थूक को निगलता है। ये संब लक्षण क्रोध को दबाने से पैदा हो जाते हैं, और स्टैफिसैग्रिया की एक मात्रा सारा दृष्टिकोण बदल देती है।

स्टफिसैग्रिया क्रोध पी जाता है, नक्स तुर्की-ब-तुर्की जवाब देता है और लाइको दूसरों के अपमान का भी बदला लेता है – क्रोध आने पर स्टैफिसैग्रिया तथा नक्स में मानव की प्रतिक्रिया एक-दूसरे के विपरीत होती है। सटैफिसैग्रिया प्रकृति का व्यक्ति जहां क्रोध को चुपचाप पी जायेगा, सामने कुछ नहीं बोलेगा, अन्दर-अन्दर घुलता जायेगा, वहां नक्स प्रकृति का व्यक्ति अपमान होने पर एक मिनट देर नहीं लगायेगा, तुर्की-ब-तुर्की जवाब देगा, और आगे के लिये कुछ उधार नहीं रखेगा। लाइको-प्रकृति का व्यक्ति नक्स से भी आगे बढ़ेगा, वह अपने अपमान का ही नहीं, दूसरों के अपमान का भी बदला लेने के लिये डंडा लेकर खड़ा हो जायेगा।

बच्चों के क्रोध में स्टैफिसैग्रिया तथा केमोमिला – मन पर प्रभाव करने की औषधि के रूप में बच्चों के क्रोध में प्राय: कैमोमिला का प्रयोग होता है, परन्तु स्टैफिसैग्रिया कभी-कभी बच्चों के क्रोध में ज्यादा लाभ करता है।

(2) अति-विषय, हस्त-मैथुन आदि से मगज खाली हो जाना और नामर्दी – युवावस्था में जो लोग व्यसनों में फंसकर अति-विषय करते हैं, हस्त-मैथुन आदि कुकर्मों से वीर्य-क्षय करते हैं उनका मगज खाली हो जाता है, चित्त में ग्लानि घर कर लेती है, मिजाज चिड़चिड़ा हो जाता है, शरीर तथा मन में फुर्ती नहीं रहती, जरा-सी मेहनत से मनुष्य कमजोरी अनुभव करता है, मन किसी काम में नहीं लगता। ऐसी अवस्था में यह औषधि लाभ करती है। ऐसा व्यक्ति जब विवाह करता है, तब स्त्री-प्रसंग की इच्छा रहते हुए भी वह अपने किये हुए अप्राकृतिक-कुकर्मों के कारण अपने को नामर्द अनुभव करता है। शर्म के मारे किसी से आँखे नहीं मिला सकता, यह समझता है कि लोग उसके कुकर्मों को जान गये हैं। चेहरा पीला पड़ जाता है, आँखों में चमक नहीं रहती। ऐसों का स्टैफिसैग्रिया परम-मित्र है। डॉ० चौधरी लिखते हैं कि इस शताब्दि के व्यसनों में डूबे लोगों के मानसिक-पतन में यह बीसवीं सदी की प्रमुख औषधि है।

(3) प्रोस्टेट (मूत्राशय-मुखशायी-ग्रन्थि) की वृद्धि – प्रोस्टेट-ग्रन्थि के बढ़ जाने पर बार-बार पेशाब आने की इच्छा होती है, खासकर वृद्ध-पुरुषों को यह तकलीफ सताया करती है। वृद्ध-पुरुषों के प्रोस्टेट के बढ़ जाने पर बार-बार पेशाब की हालत में पेशाब कर लेने के बाद भी बूंद-बूंद पेशाब टपका करता है। इस बीमारी में इसका सर्वोत्तम दवाओं में स्थान है।

(4) मूत्र न करते समय जलन, परन्तु मूत्र करते समय जलन का न रहना – ऐसी अनेक औषधियां हैं जिन में मूत्र करने से पहले जलन पायी जाती है, मूत्र करते समय जलन पायी जाती है, मूत्र करने के बाद जलन पायी जाती है, परन्तु स्टैफिसैग्रिया ही एकमात्र ऐसी औषधि है जिस में मूत्र करते समय जलन नहीं रहती। इस प्रकार के अद्भुत-लक्षण चिकित्सा में बहुत सहायक होते हैं इसलिये इस अद्भुत-लक्षण को सदा ध्यान में रखना चाहिये।

(5) बिलनी निकलना (Styes) – आँख की ऊपर की पलकों पर बिलनी निकलना इस औषधि का प्रसिद्ध-लक्षण है। रोगी को बार-बार बिलनी निकलती है, अच्छी होती है तो उसकी जगह एक ढेला-सा बन जाता है। इस औषधि से बिलनी निकलने की प्रवृति ठीक हो जाती है। बिलनी पर कोनायम तथा थूजा का भी प्रभाव है। पल्स में भी बिलनी निकलती है, वह पक कर ठीक हो जाती है।

(6) सर्जन के ऑपरेशन में शुद्ध, तेज औजार की काट के बाद लाभप्रद है – सर्जरी के ऑपरेशन के बाद जब शुद्ध शस्त्र-क्रिया की गई हो, सफाई के औजारों से कांट-छांट की गई हो, तब स्टैफ़िसैग्रिया देने से जख्म जल्दी ठीक हो जाता है। जब सर्जन ने बहुत ज्यादा कांट-छांट की हो, रोगी कमजोर हो गया हो, खून बहुत बहा हो, तब कई लोग कार्बोवेज देने की सोच सकते हैं, परन्तु डॉ० कैन्ट का कहना है कि इस समय सर्जन के लिये स्ट्रौन्टियम ही कार्बोवेज का काम करता है। स्ट्रौन्टियम का काम काट-छांट से रोगी को जो ‘शॉक’-सदमा-पहुंचा है, उसका प्रतीकार कर देना है। भिन्न-भिन्न प्रकार की चोट आदि के बिषय में भिन्न-भिन्न औषधियों का उल्लेख हम आर्निका में कर आये हैं।

(7) एक्जिमा तथा खुजली – एक्जिमा की पपड़ी के नीचे पीला, जहरीला, लगनेवाला स्राव निकलता है, जो किसी भी जगह लग जाने पर नया घाव उत्पन्न कर देता है। एक स्थान पर खुजलाने से खुजली वहां तो मिट जाती है, परन्तु खुजली झट दूसरे स्थान पर होने लगती है। स्टैफिसैग्रिया से एक्जिमा तथा खुजली में बहुत लाभ होता है।

(8) दांत काले पड़ जाते हैं तथा टूटते हैं – दांतों के रोग में इस औषधि का विशेष प्रभाव है। दांत काले पड़ जाते हैं, उन पर काली रेखाएं दीखती हैं, कितना ही मंजन करें ये रेखायें मिटती नहीं। दांत भी टुकड़े-टुकड़े होकर टूटने लगते है। दांतों की जड़ खुरने लगे, तो मैजेरियम तथा थूजा से लाभ होता है। मैजेरियम में दांतों का क्षय एकदम शुरू होता है, दांतों का इनैमल पहले खुरदुरा हो जाता है, फिर उतर जाता है। थूजा में भी दांत जड़ से सड़ते हैं, दांत का बाकी भाग ठीक दिखलाई देता है। क्रियोजोट के दांत निकलते साथ ही सड़ने लगते हैं।

(9) रात को बिस्तर में कमर-दर्द – जैसे हमने कहा, इस औषधि का जननांगों पर विशेष प्रभाव है। जननांगों के अति-प्रयोग से स्त्री तथा पुरुष दोनों को रात में बिस्तर में पड़े-पड़े कमर में दर्द होता है। इसकी विलक्षणता यह है कि रात को बिस्तर में पड़े-पड़े, और प्रात:काल उठने से पहले यह दर्द बढ़ा हुआ लगता है। इस दर्द को यह ठीक कर देता है।

Antidote To Staphysagria In Hindi

Camphor, Merc sol, and Thuja

(10) शक्ति – स्टैफिसैग्रिया 30, स्टैफिसैग्रिया 200, स्टैफिसैग्रिया 1000 । जैसे सल्फर, कैलकेरिया तथा लाइकोपोडियम की त्रिक-श्रृंखला है, एक दूसरे के पीछे लक्षणानुसार दिये जाते हैं, वैसे ही कौस्टिम, कोलोसिन्थ तथा स्टैफिसैग्रिया की तथा कोलोसिन्थ, कॉस्टिकम एवं स्टैफिसैग्रिया की त्रिक-श्रृंखला (Series) हैं – ये भी लक्षणानुसार एक-दूसरे के पीछे दिये जाते हैं।

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4 Comments
  1. Bablu says

    Sir DR G.P SIR
    please ashi medicine bataye jo lal chakte ; lal dane pad ja rahe hai aur khujali jangho mae hoti rahti hai aur 5 month se accha hi nahi ho raha uska upchar kya hai dawa ka nam bhi bataye si aur uska upyog kaishe karna hai please immediate sir bataye
    Thanks sir

  2. Kalpana kumari says

    Dear sir,
    Mere husband ko sugar ki bimari hai unka sugar before meal 160 and after meal 289 hai aur unka left hand ka nas kuch daba hai pau ke talwa mei bhi kuch jalan si rehti hai kabhi kabhi unka sar bhi bahut dard karta hai…kuch medicine bataye….unko sugar pichale 6 months se hua hai…suggested medicine for him.

    1. Dr G.P.Singh says

      You should write about yourself. Your nature like anger, fear, your height,age, colour etc. You may start taking medicine with sulpher 200 at an interval of 7 days, Antim crud 30 daily and syzizium Zambolin Q 10 drops thrice daily.

    2. Abhinav says

      Syzigium mother tincture ki 10- 10 drop din me do bar halke 1 cup garam pani ke sath pilaye labh milega

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