हेलोनियस डायोइका [ Helonias Dioica 30 Uses In Hindi ]

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[ युनाइटेड स्टेट्स अमेरिका की ढालू जमीन पर पैदा होने वाले एक तरह के वृक्ष की जड़ से टिंचर तैयार होता है ] – यह कमजोर और स्वास्थ्यहीन स्त्रियों की नाना प्रकार की बीमारियों की महौषधि है। यह साधारणतः दो प्रकार की स्त्रियों के लिए ज्यादा फायदेमंद है :-

  1. जो स्त्रियाँ कोई काम नहीं करती और विलास में पड़ी-पड़ी अपना स्वास्थ्य नष्ट कर देती है।
  2. जो अपने खाने-पीने और सोने-उठने का ध्यान छोड़कर दिन-रात परिश्रम करने के कारण बिलकुल परेशान हो जाती है।

दोनों तरह की स्त्रियों के लिए वास्तव में हेलोनियस संजीवनी-सुधा का काम करती है। इसकी प्रधान क्रिया गुर्दे ( किडनी ) और जरायु पर होती है।

मानसिक लक्षण – अनमनी रहने पर अच्छी रहना, बहुत बेचैन, क्रोधी, सभी कार्यों में दोष देखना, प्रतिवाद पसन्द नहीं करना।

स्त्री-रोग – जो स्त्रियाँ हमेशा उदास और दुःखित रहती है, जिनको अपना पेडू हरवक्त भारी मालूम होता है, ऐसा लगता है जैसे गर्भ रह गया हो या पेट में कोई चीज इकट्ठी हो गई हो और दर्द होता जो, उनकी बीमारी में पहले इसका प्रयोग करना चाहिए।

जरायु पुष्ट न होने के कारण – जरायु बाहर निकल आना, प्रसव के बाद जरायु का बाहर निकल आना और अपनी जगह से हट जाना, जरायु की कमजोरी की वजह से ऋतु के समय बहुत अधिक रक्तस्राव ( मेनोरेजिया ), जरा-सा हिलते-डुलते ही रक्तस्राव का बढ़ जाना, जरायुग्रीवा या जरायु-मुख में घाव होने की वजह से रक्त-प्रदर, ऋतु के समय और उसके पहले छाती और स्तन की घुंडी में घाव जैसा दर्द होना, बहुत ज्यादा परिमाण में बदबूदार श्वेत-प्रदर का स्राव, स्राव जहाँ लगे वहाँ की खाल गल जाना, योनि में जोर की खुजलाहट और छाले जैसे उदभेद निकलना इत्यादि कई बीमारियों में हेलोनियस के प्रयोग से विशेष लाभ होता है। हेलोनियस की बीमारी के साथ – लिलियम, सिपिया, सल्फर, एलेट्रिस आदि कई दवाओं की लक्षणो में बहुत समानता है, इसलिए इनके प्रभेदों को देख लेना चाहिए।

पेशाब की बीमारी – अधिक परिमाण में और जल्दी-जल्दी पेशाब होना व साथ में मूत्राम्ल ( urea ) निकलता है, परन्तु इसमें शुगर या चीनी बिलकुल ही नहीं रहता। डायबिटीज-मिलिटस ( मधुमेह ) और उसके साथ बहुत प्यास, शीर्णता और बेचैनी। दाहिने गुर्दे में बराबर दर्द बना रहना।

जैबोरण्डी – पेडू व मूत्राशय में दर्द, बार-बार पेशाब की हाजत व पेशाब होना में लाभ करता है।

डॉ हेल का कहना है – एक परीक्षक के पेशाब में फॉस्फेट और ऐल्कैलाइन रिऐक्शन था, हेलोनियस के सेवन के बाद ऐसा हुआ कि क्षारयुक्त पेशाब अम्ल-युक्त हो गया, उसमे फॉस्फेट बिलकुल ही नहीं रहा। बहुत थोड़े परिमाण में गँदला पेशाब होता हो तो – हेलोनियस फायदा करती है। गर्भवती स्त्रियों के पेशाब में या साधारण पेशाब में भी एल्बुमेन रहने पर इससे फायदा होगा।

सदृश – एलेट्रिस, सिमिसिफ्यूगा, सिनकोना, फेरम, लिलियम, एसिड फॉस, सिपिया, टेरिबिन्थ।

क्रम – Q और 30 से 200 शक्ति। शीघ्र फल प्राप्त करना हो तो – Q शक्ति का प्रयोग करना चाहिए। 4-5 बून्द की मात्रा में ऋतु आरम्भ होने के समय से जितने दिनों तक ऋतुस्राव रहता है, दिन भर में 3-4 बार करके 2 से 3 महीने तक उपयोग करना चाहिए।

 

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