हाई ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल और दिल से जुड़ी समस्याएं

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हाई ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल का बढ़ना और हृदय रोग एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं, इसलिए यहां हम इन तीनों समस्याओं में फायदा पहुंचाने वाले भोज्य पदार्थों की चर्चा करेंगे। मोटापा और डायबिटीज की समस्या भी इन्हीं रोगों से जुड़ी होती है, इसलिए इस पोस्ट में दिए गए ज्यादातर पदार्थ मोटापे और डायबिटीज में भी फायदा पहुंचाते हैं, लेकिन फिर भी कुछ भोज्य पदार्थ ऐसे हैं, जिन्हें हम हृदय रोग में तो खा सकते हैं, मगर यदि डायबिटीज है तो नहीं खा सकते।

मोटापा भी हमें हृदय रोग की तरफ ही ले जाता है। चूंकि इससे अन्य कई और समस्याएं भी पैदा होती हैं, इसलिए मोटापे में लाभदायक पदार्थों का भी अलग से अध्ययन करना ही ठीक रहेगा।

खास बात : हृदय रोग में बेचैनी होती है, हृदय में दर्द उठता है और बाएं कंधे व बाएं हाथ तक फैल जाता है। घबराहट होती है। तेज सांस चलती है। जी मिचलाता है। ठंडा पसीना आता है। हाथ-पैर भी ठंडे पड़ जाते हैं।

हृदय रोग, हाई ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल की समस्या से बचने के लिए और यदि ये समस्याएं हो जाएं तो इन्हें कम करने या इनसे छुटकारा पाने के लिए दुनिया भर के विशेषज्ञ हमें निम्नलिखित भोज्य पदार्थ विशेष रूप से खाने की सलाह देते हैं-

अनाज

(1) गेहूं की घास है बहुत ही लाभकारी : प्राकृतिक चिकित्सा के विशेषज्ञों के अनुसार हृदय रोगों में गेहूं की घास का रस बहुत लाभकारी है। इसके लिए घर में आठ-दस गमलों का इंतजाम करें। इसके बाद एक मुट्ठी गेहूं भिगो दें। फिर इन्हें गमलों में बो दें। गमलों को छाया में ही रखें। बोए हुए अनाज के दानों को आठ-दस इंच ऊंचाई तक उगने दें। इसके बाद इस घास को उखाड़ लें और कुचलकर रस तैयार करें। रोजाना खाली पेट करीब आधा गिलास पीएं। घास की निरंतर उपलब्धता के लिए जैसे ही घास उगे, नए दाने बोते जाएं।

(2) ओट्स के फाइबर देख भाग जाता है बुरा कोलेस्ट्रॉल : ओट्स में मुख्य रूप से जौ और अन्य अनाजों के दलिया आते हैं। हमें उपलब्ध सभी अनाजों के बीच ओट्स में सबसे ज्यादा घुलनशील फाइबर होते हैं, जिससे ये बुरे कोलेस्ट्रॉल को कम करते हैं। बुरे कोलेस्ट्रॉल के कम होने का मतलब है दिल की बीमारी के खतरे का काम होना। इसके अलावा ओट्स में एक विशेष तत्व ‘लिगनेन’ भी पाया जाता है, जो हृदय रोग का खतरा कम करता है। इसलिए नाश्ते में ओटमील या दलिये का सेवन जरूर करें।

(3) दिल को साफ रखता है ब्राउन राइस का सेलेनियम : भूरे चावल सफेद चावल का अपरिष्कृत (अनरिफाइंड) रूप होते हैं। इनमें प्रोटीन, थियामाइन, कैल्शियम, मैग्नीशियम, सेलेनियम, पोटेशियम और फाइबर पाए जाते हैं। ब्राउन राइस में मौजूद सेलेनियम तत्व हाई कोलेस्ट्रॉल और दिल की समस्या कम करता है। इनमें मौजूद मैंगनीज शरीर के फैट का सिंथेसाइज करता है। विशेषज्ञ इन्हें बेरी और अन्य फलों के साथ खाने की सलाह भी देते हैं, ताकि इनके एंटी ऑक्सीडेंट गुणों का शरीर को पूरा फायदा मिल सके।

खास बात : कोलेस्ट्रॉल को लिवर यानी यकृत इसलिए पैदा करता है, ताकि कोशिकाओं की दीवारों, हार्मोन और नर्वस सिस्टम (तंत्रिका तंत्र) के सुरक्षा घेरे का निर्माण हो सके। कोलेस्ट्रॉल खुद फैट (चर्बी) से बना होता है और प्रोटीन से मेल करके लिपोप्रोटीन बनाता है। प्रोटीन से दोस्ती के बाद ही यह अच्छा और बुरा बन जाता है। अच्छा कोलेस्ट्रॉल (एचडीएल-हाई डेंसिटी लिपोप्रोटीन) हल्का होता है और खून से मिलने को आतुर चर्बी को अपने साथ बहा ले जाता है। बुरा कोलेस्ट्रॉल (एलडीएल-लो डेंसिटी लिपोप्रोटीन) चिपचिपा और गाढ़ा होता है और रक्त वाहिनियों और धमनियों में चिपककर बैठ जाता है। इससे खून के बहने में बाधा आती है और हमारे दिल को वाहिनियों में खून पहुंचाने में बहुत मेहनत करनी पड़ती है। नतीजा हाई ब्लड प्रेशर और हार्ट अटेक के रूप में सामने आता है।

(4) रोग का खतरा कम करता है गेहूं का अंकुर : इसे पोषक तत्वों का गोदाम भी कहा जाता है। इसमें वसा नाममात्र की होती है और कोलेस्ट्रॉल होता ही नहीं है। कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, फोलिक एसिड, फाइबर, विटामिन और मिनरल की भरमार होती है। यह फोलिक एसिड का सर्वश्रेष्ठ भंडार है। फोलिक एसिड दिल की बीमारी का खतरा टालने का काम करता है। इसमें एक विशेष किस्म का एंटी ऑक्सीडेंट एरगोथियोनिआइन होता है, जो पकाने पर भी नष्ट नहीं होता है। यह शरीर को स्वस्थ रखने में अहम भूमिका निभाता है।

खास बात : फोलेट या फोलिक एसिड एक ही चीज हैं। अंतर बस यह है कि फोलेट विभिन्न भोज्य पदार्थों में प्राकृतिक रूप से पाया जाता है, जबकि फोलिक एसिड का निर्माण मनुष्य ने किया है। यह एक प्रकार का विटामिन है, जो कोशिकाओं के विकास और सुचारू मेटाबॉलिज्म के लिए जरूरी होता है। यह कार्डियो वेस्कुलर डिजीज यानी दिल की बीमारियों को रोकने का काम करता है।

(5) पकाने पर भी कम नहीं होते मक्का के गुण : मक्का या भुट्टे में कैरोटिनॉयड होता है। कैरोटिनॉयड दिल की बीमारी के खतरे को कम करता है, इसलिए मक्का को भी भोजन में शामिल करना चाहिए। मक्का की खास बात यह है कि पकाने के बावजूद इसकी एंटी ऑक्सीडेंट वैल्यू कम नहीं होती।

सब्जियां

(1) दिल को मजबूत बनाता है गाजर का कैरोटिनॉयड : गाजर खून को साफ करती है और इसमें मौजूद कैरोटिनॉयड दिल के रोग को शरीर के पास नहीं आने देते। गाजर में बीटा कैरोटीन के अलावा अल्फा कैरोटीन भी पाया जाता है। इसमें ल्यूटिन नामक पदार्थ भी होता है। गाजर में मौजूद घुलनशील फाइबर बाइल एसिड के साथ मिलकर कोलेस्ट्रॉल का स्तर घटाते हैं।

खास बात : कई अध्ययनों में यह पाया गया है कि जिन पदार्थों में कैरोटिनॉयड्स अच्छी मात्रा में पाए जाते हैं, वे पदार्थ शरीर को अन्य लाभ पहुंचाने के अलावा दिल की बीमारी का खतरा कम करते हैं। गाजर ऐसा ही पदार्थ है। कैरोटिनॉयड्स पौधों में रंग के लिए जिम्मेदार ऑर्गेनिक पिगमेंट होते हैं, जो केवल पौधों में ही पाए जाते हैं। इस समय 600 से ज्यादा कैरोटिनॉयड्स ज्ञात हैं, जिन्हें जेंथोफिल और कैरोटीन के वर्ग में बांटा गया है।

नुस्खा : घरेलू चिकित्सा के जानकारों का कहना है कि एक कप गाजर का रस 40 दिन तक रोज पीने से हृदय रोग शरीर से दूर चला जाता है।

(2) दिल को पसंद हैं सेम और अन्य फलीदार सब्जी : इनमें भरपूर घुलनशील फाइबर होते हैं। इनमें फोलेट, मैग्नीशियम, आयरन, पोटेशियम जैसे तत्व भी होते हैं। ये सभी बुरे कोलेस्ट्राल, ट्राइग्लाइसिराइड्स और ब्लड प्रेशर को घटाने का काम करते हैं, जिससे दिल की समस्याओं में कमी आती है। ये खास तौर से कोरोनरी हार्ट डिजीज का खतरा काफी कम कर देते हैं।

नुस्खा : काले चने उबालकर उनमें सेंधा नमक मिलाकर खाने से हृदय रोग में लाभ होता है।

(3) दिल के लिए राहत का दूसरा नाम शकरकंद : डायटरी फाइबर होने के कारण तो शकरकंद दिल के लिए अच्छा है ही, इसके अलावा इसका विटामिन बी-6 रक्त वाहिनियों की कठोरता को कम करने में बहुत सहायक है। इसमें भरपूर पोटेशियम भी है, जिससे यह ब्लड प्रेशर को घटाता है। इसका पोटेशियम शरीर में इलेक्ट्रोलाइट का संतुलन भी कायम करता है, जिससे ब्लड प्रेशर तो नियंत्रण में रहता ही है, दिल की कार्यप्रणाली भी दुरुस्त रहती है। इसमें मौजूद विटामिन डी न केवल दिल को स्वस्थ रखता है, बल्कि हमारा मूड भी ठीक रखता है।

खास बात : शकरकंद में मैग्नीशियम भी अच्छी मात्रा में होता है। मैग्नीशियम शरीर को तनाव, दबाव से राहत देता है। यह रक्त और धमनियों के लिए भी अच्छा है।

(4) टमाटर के पास हैं दिल की रक्षा के सटीक हथियार : विटामिन सी और ए होने से टमाटर हमारी कोशिकाओं के दुश्मन फ्री रेडिकल्स से लड़ता हैं। फ्री रेडिकल्स से लड़ने का मतलब है ऑक्सीडेशन का विरोध करना। ऑक्सीडेशन से शरीर को अन्य नुकसान के अलावा धमनियां भी सख्त होने लगती हैं। टमाटर धमनियों को सख्त होने से रोकता है, जिससे धमनियों से संबंधित रोग दूर रहते हैं। टमाटर को शरीर में हाई कोलेस्ट्रॉल भी नापसंद है। विशेषज्ञों ने पोटेशियम, नियासिन, फोलेट और विटामिन बी-6 को दिल के रोगों के मामले में बहुत ही अच्छा बताया है और कितनी अच्छी बात है कि ये चारों एक साथ ही टमाटर में मौजूद हैं।

खास बात : टमाटर में लाल रंग के लिए लाइकोपेन नाम का तत्व जिम्मेदार होता है। यह एक एंटी ऑक्सीडेंट है। जर्मन वैज्ञानिकों ने हार्ट अटेक से पीड़ित व्यक्तियों और स्वस्थ व्यक्तियों के बीच एक तुलनात्मक अध्ययन करके पाया कि हार्ट अटैक झेल चुके व्यक्तियों में लाइकोपेन का स्तर स्वस्थ व्यक्तियों के मुकाबले बहुत ही कम मिला। गाजर के प्रसंग में हम कैरोटिनॉयड्स के बारे में पढ़ हो चुके हैं कि वे कैसे दिल के अच्छे मित्र हैं। लाइकोपेन भी एक कैरोटिनॉयड्स ही है। कई अन्य अध्ययनों के अनुसार, सभी कैरोटिनॉयड्स के बीच लाइकोपेन दिल की रक्षा करने में सबसे ज्यादा सक्षम पाया गया है।

(5) दिल के काम की हर चीज है कद्दू में : कद्दू में भरपूर फाइबर, विटामिन सी, बीटा कैरोटीन आदि की मौजूदगी होती है। इसमें मौजूद तत्व फ्री रेडिकल्स से लड़ते हैं। कद्दू में केले से भी ज्यादा मैग्नीशियम होता है। पूर्व में हम यह पढ़ ही चुके हैं कि ये सभी चीजें दिल के लिए बहुत काम की हैं। कद्दू के बीजों में एक विशेष अमीनो एसिड ट्रिप्टोफान होता है, जो शरीर में सेरेटोनिम में बदल जाता है। यह पदार्थ रात में अच्छी नींद और हमारे अच्छे मूड के लिए बहुत काम का है। अच्छा मूड यानी अच्छा दिल। कद्दू कोलेस्ट्रॉल को कम करता है। यह क्षारीय तासीर का है, इसलिए एसिडिटी और उससे उत्पन्न बहुत सारी परेशानियों का अंत करता है। ये फ्री रेडिकल्स बुरे कोलेस्ट्रॉल को ऑक्सीडाइज्ड भी कर देते हैं। ऐसा ऑक्सीडाइज्ड कोलेस्ट्रॉल धमनियों की दीवारों में जमा होकर उन्हें सख्त बना देता है, जिससे दिल की समस्याएं शुरू हो जाती हैं।

खास बात : फ्री रेडिकल्स को शरीर में वैसा ही समझिए, जैसे हमारे समाज में कोई आवारा और बिगड़ैल युवा। ये ऑक्सीजन के अस्थायी अणु होते हैं, जिनके पास जोड़ीदार इलेक्ट्रॉन का अभाव होता है। जोड़ीदार इलेक्ट्रॉन की तलाश में ये बावले-से हो जाते हैं और शरीर में बहुत सक्रियता से घूमते हैं। जोड़ीदार बनाने की कोशिश में ये कोशिकाओं की झिल्ली, उनकी फैट, प्रोटीन, डीएनए, आरएनए आदि को नुकसान पहुंचाते हैं। इससे ये दिल की बीमारी समेत तमाम रोगों का कारण बनते हैं। साथ ही बुढ़ापा जल्दी लाने के लिए भी यही फ्री रेडिकल्स ही जिम्मेदार होते हैं।

(6) पालक और अन्य हरी पत्तेदार सब्जियां हैं बहुत कारगर : पालक में मौजूद डायटरी फाइबर, विटामिन सी, ई, बीटा कैरोटीन, सेलेनियम, पोटेशियम, जिंक, मैंगनीज आदि न सिर्फ ब्लड प्रेशर को घटाते हैं, बल्कि दिल के रोग का खतरा भी कम करते हैं। पालक में फोलेट भी मौजूद है, जो स्वयं में तो दिल के लिए अच्छा है ही, साथ ही यह विटामिन बी-6 और बीटेन के साथ मिलकर दिल के लिए खतरनाक अमीनो एसिड होमोसिस्टीन के सीरम स्तर को भी कम करता है।

खास बात : 15 हजार लोगों पर 12 वर्ष तक किए गए एक अध्ययन में पाया गया है कि जिन लोगों ने दो से ढाई सर्विंग (एक सर्विंग का मतलब एक छोटी कटोरी) पालक या इसी के जैसी हरी पत्तेदार सब्जियों (मूली के पत्ते, सरसों के पत्ते, सलाद के पत्ते, शलगम के पत्ते आदि) का सेवन किया, उनमें ऐसा न करने वाले लोगों के मुकाबले दिल की बीमारी का खतरा 25 फीसदी तक कम हो गया।

(7) दिल को देने के लिए कई फूल हैं फूलगोभी के पास : फूलगोभी में ब्रोकोली वाला विशेष तत्व सल्फोराफेन तो होता ही है, इसी के साथ यह विटामिन सी और मैग्नीशियम के लिए जानी जाती है। ये दोनों ही एंटी ऑक्सीडेंट के गुण रखते हैं। फूलगोभी में अनेक फाइटोन्यूट्रिएंट होते हैं, जो बड़े काम के हैं। ये सारे तत्व मिलकर हमें दिल की बीमारियों से बचाते हैं। फूलगोभी में मौजूद पोटेशियम हाइपरटेंशन को भी कम करता है। फूलगोभी में कोलेस्ट्रॉल और संतृप्त वसा नहीं होती।

(8) दिल की राहत के लिए लौकी का सेवन करें : लौकी प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, फाइबर और मिनरल से भरपूर होती है। यह दिल के लिए इसलिए अच्छी है, क्योंकि यह शरीर में तनाव को कम करती है। यह शरीर में एसिडिटी को दूर करती है। इसका सेवन अच्छी नींद के लिए भी बढ़िया माना जाता है। कई अध्ययनों में यह पाया गया है कि लौकी का सेवन छाती और दिल का भारीपन कम करता है। यह दिल से जुड़े एंजाइना के दर्द में बहुत राहत देती है।

खास बात : लौकी के जूस पर चार वर्ष तक किया गया एक अध्ययन बताता है कि लौकी का जूस एक बहुत ही अच्छा एंटी ऑक्सीडेंट है। यह दिल के लिए टॉनिक की तरह है, इसलिए दिल के मरीजों को लौकी का जूस, लौकी का रायता, लौकी की सब्जी का सेवन करना चाहिए। ध्यान रहे कि लौकी के जूस को लेकर कुछ विवाद भी है। अपने देश में लौकी का जूस पीकर कुछ लोगों के बीमार होने और एक मौत भी हो जाने का मामला सामने आया था। विशेषज्ञों का कहना है कि लौकी का जूस निकालने के बाद यदि अस्वाभाविक रूप से कड़वा लगता है तो इसे न पीएं। कड़वा होने पर यह जहरीला हो सकता है। वास्तव में लौकी और उसके परिवार की अन्य सब्जियों (करेला, कद्दू आदि) में कुछ जहरीले तत्व भी होते हैं, इसलिए पहले घूंट भरकर देखें। ज्यादा कड़वा लगे तो न पीएं। नुकसान की आशंका को पूरी तरह से दूर करने के लिए लौकी की सब्जी, लौकी का रायता भी अच्छा विकल्प है।

(9) सख्त होती धमनियों पर ब्रोकोली लगाती है ब्रेक : लोहा, विटामिन ए और सी, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, कैल्शियम, क्रोमियम, एंटी ऑक्सीडेंट, फाइटोकेमिल्स जैसी चीजें एक साथ होने से यह हर प्रकार से बड़े काम की चीज है। वैज्ञानिकों ने एक अध्ययन में चूहों के एक समूह को एक महीने तक उनकी बाकी खुराक के साथ ब्रोकोली का अंश भी खिलाया। चूहों के दूसरे समूह को उसी खुराक के साथ ब्रोकोली के अंश के बजाय पानी पिलाया गया। एक महीने बाद चूहों के दिल का परीक्षण किया गया। जिन चूहों ने ब्रोकोली का सेवन किया, उनके दिल में खून को पंप करने की ज्यादा क्षमता दिखाई दी। ऑक्सीजन से वंचित करने पर उनके दिल को कम नुकसान हुआ। जब उन्हें ऑक्सीजन से वंचित किया गया तो उनके दिल को स्वस्थ रखने वाले रसायनों का स्तर उच्च पाया गया। वैज्ञानिकों के अनुसार, ऐसा ब्रोकोली में मौजूद सेलेनियम और सल्फोराफेन नाम के तत्वों की मौजूदगी की वजह से हुआ।

खास बात : धमनियों की असली दुश्मन फैट है, जो उनमें प्लेक (जिस प्रकार दांतों में मैल लगता है) पैदा करती है। इस क्रिया को एथीरोस्क्लेरोसिस कहते हैं, जिससे धमनियां सख्त होने लगती हैं और दिल की बीमारी का कारण बनती हैं। हालांकि कुदरत ने धमनियों के पास एक प्रोटीन रख छोड़ा है, जो प्लेक बनने से रोकता है, लेकिन ज्यादा फैट की स्थिति में यह प्रोटीन या तो निष्क्रिय हो जाता है या इसकी कमी हो जाती है। यह प्रोटीन एनआरएफ 2 कहलाता है। वैज्ञानिकों ने पाया है कि सल्फोराफेन नामक तत्व इस प्रोटीन को बढ़ावा देने और सक्रिय करने का अद्भुत काम करता है। यह तत्व प्राकृतिक रूप से ब्रोकोली, फूलगोभी और बंदगोभी में विशेष रूप से पाया जाता है।

(10) दिल को जो चाहिए, वह सब शतावरी में है : इस सब्जी में दिल के रोग से शरीर को दूर रखने वाला तत्व फोलेट तो है ही, साथ ही सोडियम, कोलेस्ट्रॉल और फैट बिल्कुल भी नहीं है यानी बेहद कम कैलोरी। इसमें भरपूर पोटेशियम है यानी सोडियम है नहीं और पोटेशियम भरपूर है। यह संयोजन ब्लड प्रेशर और दिल के संबंध में बहुत कारगर है। इसमें एक और अलग तत्व ग्लूटेथिऑन होता है, जो एंटी ऑक्सीडेंट होने के नाते बुढ़ापे का विरोधी है। बुढ़ापे के विरोधी होने का मतलब है कि दिल समेत अन्य सभी अंगों को दरुस्त रखने में मददगार।

(11) रोग से लड़ने में मग्न रहने वाली चीज है मशरूम : मशरूम में मौजूद कई प्रकार के विटामिन बी मेटाबॉलिज्म को दुरुस्त रखते हैं, जिससे दिल दुरुस्त रहता है। इनमें एक खास तत्व सेलेनियम होता है, जो दिल के लिए अच्छा माना जाता है। मशरूम के दो तत्व मैटेक और शीटेक कोरोनरी हार्ट डिजीज का खतरा कम करते हैं। इसका पोटेशियम हाई ब्लड प्रेशर और हार्ट अटैक की आशंका धूमिल करता है। मशरूम में विटामिन डी का भंडार होता है, जिससे हड्डियों को तो फायदा है ही, साथ ही मूड़ भी सही रहता है। ये शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले माने जाते हैं।

खास बात : यह बीमारियों से लड़ने वाला एंटी ऑक्सीडेंट है, जो खास तौर से मशरूम में बड़ी मात्रा में पाया जाता हैं। यह व्हीट जर्म में भी होता है, मगर उससे भी कई गुना ज़्यादा यह मशरूम में पाया गया है। मशरूम की कुछ किस्मों में तो यह व्हीट जर्म से 40 गुना ज्यादा होता है।

(12) शिमला मिर्च के संग अच्छा धड़कता है दिल : विटामिन ए, ई, बी और सी से भरपूर, मगर कैलोरी में बहुत कम यानी सख्त रोग प्रतिरोधी और दिल के लिए बढ़िया। शिमला मिर्च में एक खास तत्व होता है, जिसे कैप्सेइसिन कहा जाता है। इसकी विशेषता है कि यह खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करता है और रक्त वाहिनियों को फैलाकर रक्त संचरण (ब्लड सर्कुलेशन) को नियंत्रित करता है। इसी के साथ यह मेटाबॉलिज्म को तेज करता है, जिससे दिल की सेहत ठीक रहती है।

(13) चुकंदर के साथ बेकाबू नहीं हो सकता ब्लड प्रेशर : इसमें आयरन, विटामिन और मिनरल्स भरपूर होते हैं। हाई ब्लड प्रेशर को काबू में करने के लिए चुकंदर बहुत काम की चीज है। यह खून को साफ करता है और उसमें हीमोग्लोबिन बढ़ाता है। इसके रस में नाइट्रेट होता है, जो रक्त के दबाव को कम करता है यानी दिल की बीमारी में यह फायदेमंद हैं।

(14) लहसुन से बहुत खुश रहती हैं रक्त वाहिनियां : लहसुन गजब का एंटी ऑक्सीडेंट और एंटी बायोटिक पदार्थ है। यह दिल का दोस्त है। कोलेस्ट्रॉल और ब्लड प्रेशर को कम करने में लहसुन बड़े काम की चीज है। एंटी क्लॉटिंग (रक्त को गाढ़ा होने और जमने से रोकना) प्रॉपर्टी होने के कारण लहसुन खून को पतला भी करता है। इससे शरीर में रक्त वाहिनियों में रक्त का थक्का नहीं बन पाता।

खास बात : एंजियोटेंसिन-2 नाम का प्रोटीन हमारे शरीर में रक्त वाहिनियों को सिकोड़ने का काम करता है, जिससे हमारा ब्लड प्रेशर बढ़ जाता हैं। लहसुन में ‘एलिसिन’ नाम का पदार्थ पाया जाता है, जो एंजियोटेंशिन-2 की गतिविधि को रोक देता है, जिससे ब्लड प्रेशर में कमी आती है। इसके अलावा लहसुन में मौजूद पॉलीसल्फाइड को रक्त में मौजूद लाल रक्त कणिकाएं (आरबीसी) एक गैस हाइड्रोजन सल्फाइड में बदल देती हैं। यह गैस हमारी रक्त वाहिनियों को फैलाने का काम करती है, जिससे इन वाहिनियों में खून आराम से प्रवाहित होता है और ब्लड प्रेशर में कमी आती है।

उम्र बढ़ने के साथ-साथ हमारी धमनियां अपनी खिंचाव-क्षमता खोने लगती हैं। लहसुन इस नुकसान को भी कम करता है। इसके अलावा ऑक्सीडेशन की वजह से धमनियों के सख्त होने की प्रक्रिया को भी लहसुन में मौजूद सल्फर कपाउंड रोकता है।

नुस्खा : विशेषज्ञों के अनुसार, यदि यह आशंका हो कि हृदय में जल्द दर्द शुरू हो सकता है तो लहसुन की चार कलियां चबाकर खा जाएं।

(15) प्याज में दिल के लिए प्यार-ही-प्यार है : भारत में छठी शताब्दी में ही पता लग गया था कि प्याज दिल के लिए बहुत अच्छी चीज है। बाद में आधुनिक विशेषज्ञों ने न सिर्फ प्राचीन बातों की पुष्टि की, बल्कि यह भी बताया है कि प्याज में काफी मात्रा में विटामिन सी के अलावा एंटी ऑक्सीडेंट भी होते हैं, जो बुरे कोलेस्ट्रॉल को कम करते है और अच्छे कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ाते हैं। प्याज हाई ब्लड प्रेशर को भी कम करती है और रक्त का थक्का बनने से भी रोकती है। ध्यान रहे कि कच्ची प्याज ही दिल के लिए ज्यादा अच्छी है। आग में पकने के बाद इसके अनेक अच्छे गुण नष्ट हो जाते हैं।

खास बात : प्याज में लहसुन की तरह दिल को फायदा देने वाले सल्फर कपाउंड तो होते ही हैं, साथ ही एक कमाल का तत्व होता है, जिसे फ्लेवोनॉयड कहते हैं। यह विटामिन सी के काम को तो तेज करता ही है, स्वयं भी एंटी ऑक्सीडेंट की तरह काम करता है। यह रक्त के प्रवाह को नियंत्रित करता है, प्लेटलेट्स का गुच्छा बनने से रोकता है, कोलेस्ट्रॉल को फ्री रेडिकल्स के ऑक्सीडेशन से बचाता है और रक्त वाहिनियों को स्वस्थ रखता है यानी यह दिल की बीमारियों का खतरा काफी कम कर देता है।

फल

(1) सेब के सामने सख्त धमनी भी हो जाती है मुलायम : सेब को दिल की सबसे चहेती कोरोनरी आर्टरी (धमनी) का अच्छा मित्र माना जाता है। यह कोलेस्ट्रॉल को घटाता है। यह पेक्टिन नाम के फाइबर का घर है, जो हमें स्वस्थ रखने में मदद करता है। इसलिए दिल के रोग से बचने के लिए हमें सेब को अपने आहार में जरूर शामिल करना चाहिए।

(2) दिल के विरोधी को तोड़ डालता है केला : अमेरिका की राष्ट्रीय विज्ञान एकेडमी कहती है कि खाने की जिस चीज में नमक (सोडियम) कम हो और पोटेशियम भरपूर हो, वह चीज हाई ब्लड प्रेशर और स्ट्रोक का खतरा कम कर देती है। केला ऐसी ही चीज है, जिसमें नमक कम है और पोटेशियम खूब है। केला फाइबर से भी भरपूर है और विशेषज्ञ कहते हैं कि जहां फाइबर है, वहां दिल की बीमारी का खतरा कम है। केले में विटामिंस भी होते हैं, जो होमोसिस्टीन नाम के अमीनो एसिड को तोड़ने और उसे कमजोर करने का काम करते हैं। इससे दिल का रोग शरीर से दूर रहता है।

खास बात : होमोसिस्टीन एक ऐसा अमीनो एसिड है, जिसका स्तर यदि शरीर में बढ़ जाए तो दिल की बीमारी का खतरा बढ़ जाता है।

(3) बेरी भी चाहती हैं कि दिल अच्छी तरह धड़के : स्ट्रॉबेरी और अन्य सभी बेरी को शरीर में दिल का बीमार होना पसंद नहीं है। इसका कारण है इनमें मौजूद फाइबर और फोलेट। फाइबर कोलेस्ट्रॉल और ब्लड प्रेशर को कम करते हैं, जबकि फोलेट कार्डियो वेस्कुलर बीमारियों का खतरा कम करता है। ये मीठी होती हैं, इसलिए विशेषज्ञ इनके जूस के बजाय फल को ही खाने की सलाह देते हैं, क्योंकि जूस में ज्यादा शुगर आ जाती है और शरीर को फाइबर नहीं मिल पाते।

खास बात : फाइबर (रेशे) पौधों में पाए जाने वाले वे पदार्थ हैं, जो पाचन-क्रिया के दौरान पचने का विरोध करते हैं। ये उन पदार्थों के बने होते हैं, जो पौधों की कोशिकाओं की दीवार का निर्माण करते हैं। एक प्रकार के फाइबर पानी में घुलनशील (पेक्टिन, गम, म्यूसीलेग्स) होते हैं, जबकि दूसरे प्रकार के फाइबर अघुलनशील (सेल्युलोस, हेमीसेल्युलोस, लिगनेन) होते हैं। अघुलनशील फाइबर पाचन तंत्र में पचते नहीं हैं, हां उनके छोटे टुकड़े जरूर हो सकते हैं। फाइबर दिल के मामले में सबसे बड़ा काम यह करते हैं कि ये कोलेस्ट्रॉल को अपने साथ बहाकर ले जाते हैं, जिसके फलस्वरूप ब्लड प्रेशर नियंत्रण में रहता है। साथ ही कोलेस्ट्रॉल को धमनियों में जमने का मौका भी नहीं मिलता।

(4) दिल की रक्षा के लिए पूरी फौज है संतरे के पास : संतरे में विटामिन सी, ए, एंटी ऑक्सीडेंट, डायटरी फाइबर, फ्लेवोनॉयड, कैल्शियम, मैग्नीशियम, पोटेशियम जैसे तत्व होते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार संतरे में करीब 170 फोटोन्यूट्रिएंट्स होते हैं। फ्लेवोनॉयड की संख्या करीब 60 होती है। इस वजह से यह शरीर में सूजन, जलन, अल्सर, गांठ, कोशिकाओं के क्षय और दिल के दुश्मनों के खिलाफ शानदार ढंग से काम करता है। इसमें मौजूद मैग्नीशियम ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखता है। संतरा रक्त को शुद्ध भी करता है।

(5) खून के थक्के से बचने के लिए खरा है खरबूजा : खरबूजे में विटामिन ए, बीटा कैरोटीन और विटामिन सी भरपूर होता है। विटामिन सी का भंडार होने से यह एंटी ऑक्सीडेंट का काम करता है। इसमें एडिनोसाइन नाम का पदार्थ होता है, जो खून को पतला करता है। साथ ही इसमें फोलेट भी होते हैं यानी दिल के लिए उत्तम पदार्थ। इसमें पोटेशियम होने की वजह से दिमाग में खूब ऑक्सीजन जाती है, जिससे तनाव दूर करने में मदद मिलती है। खरबूजे के बीज भी प्रोटीन, फाइबर और विटामिन से भरपूर हैं।

(6) लालबाबू तरबूज में टमाटर से भी ज्यादा लाइकोपेन : तरबूज का मिजाज क्षारीय होता है, जिससे यह हमें एसिडिटी से बचाता है। एंटी ऑक्सीडेंट लाइकोपेन के भंडार में यह टमाटर को भी पीछे छोड़ देता है। दिल के संबंध में लाइकोपेन की विशेषता हम टमाटर के प्रसंग में पढ़ ही चुके हैं। तरबूज में साइट्रूलाइन नामक तत्व होता है, जो रक्त वाहिनियों को फैलाने का काम करता है, जिससे रक्त का प्रवाह सुचारू होता है। इसमें पोटेशियम भी है, जिसके दिल संबंधी फायदे हम पहले ही पढ़ चुके हैं। यह ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करता है और इसमें कोलेस्ट्रॉल तो बिल्कुल नहीं होता है।

(7) केवल अनार में ही है दिल का एक खास दोस्त : अनार में भरपूर फाइटोकेमिकल्स, फ्लेवेनॉयड और पॉलीफिनोल (एंटी आक्सीडेंट) होते हैं, जो हमें हृदय रोगों के खतरे से बचाते हैं। एकमात्र अनार में प्यूनिकएलेजिंस पदार्थ पाया जाता है। यह इसकी एंटी ऑक्सीडेंट वैल्यू को बाकी पदार्थों के मुकाबले बढ़ा देता है। प्यूनिकएलेजिंस कोलेस्ट्रॉल और ब्लड प्रेशर को कम करके दिल और रक्त वाहिनियों के रास्ते की रुकावटों को हटा देता है। दिल के रोगियों के लिए इसकी खास तौर से सिफारिश की जाती है।

(8) दिल के अच्छे मित्रों में से एक है अंगूर : अंगूर में प्रोटीन, फाइबर, विटामिन ए, बी-6 और सी होता है। साथ ही आयरन, कैल्शियम, सेलेनियम, फास्फोरस, पोटेशियम, मैग्नीशियम जैसे खनिज तत्व भी होते हैं। अंगूर में फ्लेवोनॉयड नामक तत्व भी होता है, जो इसके रंग के लिए जिम्मेदार होता है। यह एक एंटी ऑक्सीडेंट हैं, जो फ्री रेडिकल्स से शरीर की रक्षा करता है। इसमें ऐसे ही दो और अनोखे पदार्थ होते हैं, जो कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करके और खून का थक्का बनने से रोक दिल के दोस्त बन जाते हैं।
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(9) दिल के रोगों की नाशक नाशपाती : नाशपाती में फाइबर, विटामिन बी, सी, ई और कॉपर, पोटेशियम का भंडार होता है, जिससे यह पूरे शरीर के साथ ही दिल के लिए भी बहुत लाभकारी है। नाशपाती में पेक्टिन नाम का फाइबर आम से भी ज्यादा होता है, जिससे यह कोलेस्ट्रॉल को कम करता है। यह ब्लड प्रेशर को कम करके हार्ट अटैक का खतरा कम करता है। विटामिन सी और कॉपर होने से यह कोशिकाओं के दुश्मन फ्री रेडिकल्स से लड़ता है।
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(10) रक्त वाहिनियों की दीवार का रक्षक है नींबू : यह एक एंटी ऑक्सीडेंट है, इसलिए फ्री रेडिकल्स से लड़कर शरीर को दिल की बीमारी से बचाता है। यह अच्छे कोलेस्ट्रॉल बढ़ाता है और ब्लड प्रेशर को कम करने में योगदान देता है। नींबू में विटामिन पी (बायोफ्लेविनॉयड्स) पाया जाता है। यह विटामिन रक्त वाहिनियों को मजबूत बनाने का काम करता है। इससे शरीर के अंदर ब्लड हैमरेज (वाहिनी के फटने से रक्त का बह निकलना) का खतरा कम हो जाता है। वैसे भी शरीर में जाकर नींबू का रस एल्केलाइन (क्षारीय) हो जाता है और शरीर के पीएच संतुलन को ठीक करके एसिडिटी जैसी समस्या को भी दूर करता है। इससे भी दिल सुकून में रहता है।

डेयरी

लो फैट दही को पसंद नहीं हाई ब्लड प्रेशर : यह कोलेस्ट्रॉल को कम करती है, जिससे यह दिल की बढ़िया मित्र है। इसका सेवन करें, पर ध्यान रहे कि दही बिना फैट या लो फैट वाली ही हो। स्पेन में किए गए एक अध्ययन के लो फैट डेयरी उत्पादों (दही, दूध आदि) की रोजाना 2 से 3 सर्विंग (दही के मामले में 2 से 3 छोटी कटोरी रोजाना) हाई ब्लड प्रेशर का खतरा 50 फीसदी तक काफी कम कर देती हैं।

मांस

मछली शरीर में जाए तो खून में वसा का स्तर घटाए : अगर आप मांसाहारी हैं तो मछली के नजदीक जाइए। मछली और इसका तेल हमारे दिल का बहुत अच्छा मित्र कहा जाता है, क्योंकि यह हार्टअटैक का खतरा कम करता है। यह हमारे रक्त में ट्राइग्लाइसिराइड नामक वसा का स्तर काफी कम कर देता है। यह रक्त का थक्का बनने की प्रक्रिया को भी रोकता है। मछली में उच्च स्तर का पोटेशियम होता है, जो ब्लड प्रेशर को नियंत्रण में रखता है। इसलिए दिल की बीमारी में नियंत्रित मात्रा में मछली और इसके तेल का इस्तेमाल करें। ध्यान रहे कि मछली का मांस फैट की श्रेणी में ही आता है, इसलिए मछली और इसके तेल का सेवन नियंत्रित मात्रा में ही होना चाहिए।

शहद है दिल के लिए अच्छा टॉनिक : शहद में 75 फीसदी हिस्सा शुगर का होता है, लेकिन इस 75 फीसदी हिस्से में 41 फीसदी फ्रक्टोज और 34 फीसदी ग्लूकोज होता है। इसके अलावा शहद में विटामिन ए, बी, सी के साथ ही कुछ मिनरल्स भी होते हैं। शहद रक्त को शुद्ध करता है और दिल को मजबूत करने के लिए जाना जाता है। इसकी तासीर भी एल्केलाइन है। विशेषज्ञों के अनुसार, हृदय के लिए शहद एक टॉनिक की तरह है। यह ब्लड प्रेशर भी नियंत्रित करता है।

खास बात : शहद में मौजूद एसीटाइलकोलाइन नामक पदार्थ हृदय की तरफ खून के बहाव को बढ़ाता है, जिससे ब्लड प्रेशर में कमी आती है और हृदय की धड़कन सामान्य होती है।

नुस्खा 1 : शहद और अदरक के रस की बराबर मात्रा लेकर रोजाना धीरे-धीरे चाटने से लाभ होता है।

नुस्खा 2 : बेल के पत्तों का रस, देसी घी और शहद को क्रमश: 2 : 1 : 2 के अनुपात में मिलाकर रोजाना चाटें ।

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