[ Purple Cone-flower ] – यह औषधि एक विलक्षण रक्तशोधक औषधि है। मियादी बुखार, विसर्प (इरिसिपेलस) शय्याक्षत, सड़े हुऐ घाव, ग्रेग्रीन, ऐपोण्डिसाइटिस, कार्बंकल, मस्तिष्क झिल्लीप्रदाह, विषैले जानवर या कीड़े मकोड़े आदि का काटना, विषैले उदभेद का विष फैल जाना, पीब के साथ खून मिल जाने से खून जहरीला होकर सेप्टिक ज्वर और सूतिका ज्वर हो जाना इत्यादि पीड़ाओं में यह औषधि विशेष लाभ करती है। इसका प्रयोग खाने और लगाने दोनों ही तरह से होता है। इसके अलावा भी समस्त आस्रावों में यानी मल मूत्र प्रसव के बाद का स्राव, सांस में बदबू रहती, टाइफॉयड ज्वर के साथ जोर का अतिसार, टीका लगने के दोष से नाना प्रकार के उपसर्ग और घातक डिफ्थीरिया में भी इसका प्रयोग किया जाता है। सूखी या तर खुजली व उपदंश जनित चर्मरोग पाइमिया ऐब्सेस (एक प्रकार के विषाक्त बड़े फोड़े जो एक साथ बहुत जगह निकल आते है) इस औषधि से इतना अधिक फायदा होता है कि नश्तर लगाने की आवश्यकता ही नही पड़ती, ऐलोपैथिक चिकित्सक भी इस औषधि की करामात देख कर चकित रह जाते हैं। बार-बार फोड़ा होना, टिबिया का पुराना घाव तथा अनेक प्रकार की चर्म रोगों की यह एक बढ़िया दवा है।
मात्रा – Q से 3 शक्ति।।
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