फिलिक्स मास [ Filix Mas Q Homeopathy In Hindi ]

1,156

[ ताजी सोर या जड़ से मूल-अर्क तैयार होता है ] – एलोपैथ और होमियोपैथ दोनों ही मत के चिकित्सक कृमि के लिए और खासकर फीता-कृमि ( tape-worms ) के लिए इसका अधिक प्रयोग करते हैं। कृमि के दिवा – कब्ज, अफरा, कृमि-शूल, पेट में खोंचा मारने-जैसा दर्द, अतिसार, वमन, नाक खुजलाना, बिना तकलीफ की हिचकी इत्यादि में भी इसका उपयोग होता है।

कृमि – कृमि-शूल ( worm colic ) के साथ नाक में खुजली होती है, चेहरे का रंग पीला पड़ जाता है और आँखों के चारों तरफ नीले धब्बे हो जाते हैं। हिचकियां आती हैं। पेट फूला हुआ, बुडका भर दिए जाने जैसा दर्द होता है, ये दर्द मीठी चीजें खाने से अधिक होता है। अतिसार व वमन। आंखों में एक नेत्री मन्द दृष्टिता ( monocular amblyopia ) तथा अंधापन।

सम्बन्ध – सिना, कूसो।

मात्रा – पहली से तीसरी शक्ति तक।

Ask A Doctor

किसी भी रोग को ठीक करने के लिए आप हमारे सुयोग्य होम्योपैथिक डॉक्टर की सलाह ले सकते हैं। डॉक्टर का consultancy fee 200 रूपए है। Fee के भुगतान करने के बाद आपसे रोग और उसके लक्षण के बारे में पुछा जायेगा और उसके आधार पर आपको दवा का नाम और दवा लेने की विधि बताई जाएगी। पेमेंट आप Paytm या डेबिट कार्ड से कर सकते हैं। इसके लिए आप इस व्हाट्सएप्प नंबर पे सम्पर्क करें - +919006242658 सम्पूर्ण जानकारी के लिए लिंक पे क्लिक करें।

Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.

पुराने रोग के इलाज के लिए संपर्क करें