विनका माइनर [ Vinca Minor Homeopathy In Hindi ]

- एक प्रकार का चर्म-रोग ( एक्जिमा ), माथे में एक्जिमा, उसमे बहुत अधिक खुजलाहट होती है। बदबूदार रस निकलता है, केश चिपक जाते हैं। फाइब्रॉयड ट्यूमर से रजस्राव प्रभृति में भी इसका…

वर्बेस्कम थैप्सस ( मूलेन ऑयल ) [ Verbascum Thapsus Homeopathy In Hindi ]

इसका ही नाम है - मूलेन ऑयल। मूलेन ऑयल कान पकने की बीमारी अर्थात कान में पीब होने पर कान में डालने के लिए बहुत दिनों से होम्योपैथी में प्रचलित है और इससे फायदा भी होता है। बर्बेस्कम…

वेरेट्रम विरिडि [ Veratrum Viride Homeopathy In Hindi ]

- बुखार का उत्ताप जब बहुत अधिक बढ जाता है, यहाँ तक की टेम्परेचर (शरीर का ताप ) 105-106 डिग्री तक चढ जाता है, उस समय इसके प्रयोग से बहुत थोड़े समय में उत्ताप घट जाता है और 101-102…

टेल्यूरियम होम्योपैथी मेडिसिन [ Tellurium Metallicum Homeopathy In Hindi ]

- कान की बीमारी और रुपये की तरह गोलाकार चकत्ते, उसके चारों ओर के किनारे कटे-कटे इस तरह के कई चर्म-रोग जैसे दाद इत्यादि में यह ज़्यादा फायदा करती है ।कान में पीब होने पर हमलोग…

टैरेण्टुला क्युबेन्सिस [ Tarentula Cubensis Homeopathy In Hindi ]

- जैसे चेचक में ( वेरियोलिनम ); खसड़ा में ( माॅर्बिलिनम ); हैजा में ( कूप्रम ) काम करती है, उसी तरह प्लेग रोग में - यह tarantula cubensis फायदा करती है।प्लेग की तरह लरछुत और…

टारैक्सैकम [ TARAXACUM OFFICINALE IN HINDI ]

- टारैक्सैकम ( Taraxacum ) दवा का उपयोग इन लक्षणों को ध्यान में रखते हुए करना चाहिए।नक़्शे की तरह लेप चढ़ी जीभ ( लैके, नैट्रम म्यूर, मर्क ) अम्ल और पित्त की बीमारी, सिर…

टैबेकम [ Tabacum Homeopathy In Hindi ]

 टैबेकम होम्योपैथिक दवा के मुख्य लक्षणलगातार वमन और मिचली, इसके साथ ही पसीना। हृत्पिण्ड और शरीर की कमजोरी, ताप का घट जाना। सिर-दर्द के साथ सिर में चक्कर आना और जी…

ब्राह्मी होम्योपैथिक दवा – Brahmi [ Bacopa monnieri In Hindi ]

Brahmi प्लांट किंगडम की मेडिसिन है और इसका scientific नाम bacopa monnieri है। यह दवा मुख्यतः पूर्वोत्तर भारत में पाया जाता है। आयुर्वेद में अलग-अलग बीमारियों में इस दवा का उपयोग…

स्ट्रॉनशियाना कार्बोनिका [ Strontiana Carbonica In Hindi ]

- वात का दर्द, पुराना मोच के कारण होने वाला दर्द ( sprains ), अस्थि-प्रदाह और अस्थि का जख्म ( इसमें फेमर अस्थि पर ही रोग का आक्रमण अधिक होता है ), रात में बहुत बेचैनी, अतिसार, रात…

स्टिलिंगिया सिलवेटिका [ Stillingia Sylvatica In Hindi ]

- अस्थि आवरक झिल्ली का पुराना वात, कमर और अंगों का वात। कण्डमाला या उपदंश की वज़ह से उत्पन्न वात, वातगुटी ( nodes), उपदंश की दूसरी अवस्था में शरीर की त्वचा पर उद्‌भेद निकलना और…
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