Gud Khane Ke Fayde In Hindi – गुड़ के फायदे

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सौ ग्राम गुड़ में लगभग 0.4 ग्राम प्रोटीन, 0.1 ग्राम वसा, 80 मि.ग्रा. कैल्शियम, 40 मि.ग्रा. फॉस्फोरस, 11.4 मि.ग्रा. लोहा, 0.6 -1.0 ग्रा. कु. खनिज, 168 मि.ग्रा. केरोटिन, 0.02 मि.ग्रा. थायोमिन, 0.05 मि.ग्रा. रिबोफ्लाविन, 0.5 मेिं.ग्रा. विटामिन ‘सी’ और 383 किलो कैलोरी ऊर्जा होती है। शेष मात्रा सुक्रोज, रिडयूसिंग शुगर और नमी की होती है। कहने का तात्पर्य यह है कि गुड़, गुणों की खान है। सर्दी में गुड़ खाना अति लाभप्रद है।

अधिकतर गन्ने के रस से बनाया गया गुड़ खाया जाता है। औषधीय प्रयोग में पुराना गुड़ अधिक लाभकारी है।

पुराना गुड़ बनाने की विधि – गुड़ को बारह घंटे धूप में रखें। यह गुड़ पुराने गुड़ के समान ही लाभकारी है। जहाँ भी पुराने गुड़ के उपयोग का लेख मिले, वहाँ धूप में रखा गुड़ काम में लें।

नीरोग – चीनी की अपेक्षा गुड़ खाने से व्यक्ति ज्यादा स्वस्थ रहता है। महाराष्ट्र की 22 वर्षीय चतुराबाई तोवरे ने जन्म से ही खाना नहीं खाया, पर वे स्वस्थ हैं। दिन में कई बार बिना दूध की चाय पीती हैं और चीनी के बजाय गुड़ मिलाती हैं।

मूत्रकृच्छ (Dysuria) – 250 ग्राम कच्चा पिसा हुआ जीरा और 125 ग्राम गुड़ दोनों मिलाकर गोलियाँ बना लें। इसकी दो-दो गोली नित्य तीन बार खाने से मूत्रकृच्छ ठीक हो जाता है।

रक्तविकार वाले व्यक्ति को चीनी के स्थान पर गुड़ की चाय, दूध, लस्सी किसी भी पेय में लाभदायक है।

उदर-वायु (Flatulence) – खाने के बाद 25 ग्राम गुड़ नित्य खाने से उदर-वायु, उदर-विकार ठीक होते हैं, शरीर में यौवन बना रहता है।

अम्लपित्त – प्रात: भूखे पेट नित्य थोड़ा-सा गुड़ चूसें। अम्लपित में लाभ होगा।

पुत्रोत्पत्ति – (1) जिनके बार-बार कन्या पैदा होती है, यदि वे पुत्र उत्पन्न करना चाहते हैं तो एक मोर पंख का चन्द्रमा की शक्ल वाला भाग काटकर पीसकर जरा से गुड़ में मिलाकर एक गोली बना लें। इसी प्रकार तीन पंखों की तीन गोलियाँ बना लें। गर्भ के दूसरे महीने के अन्त में, जब स्त्री का दाहिना स्वर चल रहा हो, अर्थात् दाहिने नथुने से साँस आ रहा हो, नित्य प्रात: एक गोली तीन दिन तक जीवित बछड़े वाली गाय के दूध के साथ खिला दें। उस दिन केवल गौ-दूध पर ही रहें। खाना न खायें। शाम को चावल खा सकते हैं। शर्तिया पुत्र उत्पन्न होगा और चाँद जैसा गोरा होगा। यह सहस्रों बार परीक्षित है।

(2) जिन स्त्रियों के कन्याएँ ही होती हैं लड़का नहीं होता, जब तक गर्भधारण नहीं हो तब तक वे दाहिनी करवट सोकर रतिक्रिया करें। (3) जिस स्त्री के कन्या ही कन्या जन्म लेती हों उसे मासिक धर्म में पलास (ढाक) का एक पत्ता दूध में पीसकर पिला दें। ऐसा करने के बाद पुत्र होने की सम्भावना अधिक है।

आधे सिर में दर्द जो सूर्य के साथ घटे-बढ़े तो 12 ग्राम गुड़ को 6 ग्राम घी के साथ प्रात: सूर्योदय से पहले तथा रात को सोते समय खायें।

उर-क्षत – शारीरिक परिश्रम करने वाले मजदूर गुड़ खाकर अपने शरीर की टूट-फूट को ठीक कर लेते हैं, थकावट मिटा लेते हैं। अधिक व्यायाम, हॉकी आदि खेलने से छाती के अन्दर का माँस फट गया हो, जिसे उर-क्षत कहते हैं, तो यह दिन में तीन बार गुड़ खाने से ठीक हो जाता है।

शक्तिवर्धक – पति-पत्नी आपस में सम्पर्क करने के बाद दोनों ही एक छोटी-सी डली गुड़ खाकर थोड़ा पानी पियें। इससे शरीर में थकान, कमजोरी नहीं आती, स्फूर्ति आती है। यौन क्षीणता में गुड़ से आशातीत लाभ होता है। 250 ग्राम गुड़ और 250 ग्राम तुलसी के बीज घोट-पीसकर 2-2 ग्राम की गोलियाँ बना लें। प्रतिदिन सुबह-शाम एक गोली दूध के साथ ढाई माह तक सेवन करें। यौन क्षमता बढ़ेगी।

20 ग्राम पुराना गुड़ और एक चम्मच अाँवले का चूर्ण मिलाकर नित्य लेने से वीर्य की कमी पूरी होती है। इसके सेवन से वीर्य की दुर्बलता दूर होकर वीर्य पुष्ट व गाढ़ा होता है।

घी और गुड़ मिलाकर खाने से शरीर तगड़ा होता है। शुद्ध घी में गुड़ मिलाकर खाने से उसकी गुणवत्ता बढ़ जाती है। इससे रक्तविकार और रक्तपित्त नहीं होता। कड़ी मेहनत करने वालों को नित्य 10 ग्राम घी में 50 ग्राम गुड़ मिलाकर खाना चाहिए।

प्रसूतावस्था में महिलाओं को गुड़ और अजवायन समभाग देने से कमर दर्द से मुक्ति मिल जाती है। गर्भाशय की शुद्धि होती है, रक्त साफ आता है, भूख भी लगती है तथा बल भी बढ़ता है।

प्रसूतावस्था में महिलाओं के लिए गुड़ का लड्डू भी लाभदायक होता है। गुड़ में चिरौंजी, बादाम, मुनक्का, छुहारा और घी डालकर गुड़ के लड्डू बनायें। एक लड्डू नित्य खायें।

हृदय की दुर्बलता, शारीरिक शिथिलता में गुड़ खाने से लाभ मिलता है।

सन्धिवात (जोड़ों का दर्द) – अाँवले के चूर्ण में दुगुनी मात्रा में गुड़ मिलाकर बड़े बेर के आकार की गोलियाँ बनाकर नित्य सुबह-दोपहर-शाम खाकर पानी पियें। इससे सन्धिवात दूर होता है। संधिवात में गुड़ का सेवन अधिक करना चाहिए। इससे दर्द का निवारण होता है।

दमा –15 ग्राम गुड़ और 15 ग्राम सरसों का तेल खरल में अच्छी तरह घोंट कर नित्य एक बार प्रात: कम-से-कम 1-2 महीने तक चाटने से स्थायी रूप से दमा ठीक हो जाता है।

सूखी खाँसी –15 ग्राम गुड़ और 15 ग्राम सरसों का तेल मिलाकर चाटने से लाभ होता है।

सर्दी – सर्द ऋतु में गुड़ और काले तिल के लड्डू खाने से जुकाम, खाँसी, दमा, ब्रोंकाइटिस आदि रोग दूर होते हैं। ये रोग नहीं होने पर भी, तिल-गुड़ के लड्डू खाने से ये रोग नहीं होते।

जुकाम – जरा-से गुड़ में मूंग के बराबर हींग, 5 पिसी कालीमिर्च मिलाकर सुबह खाने से जुकाम में लाभ होता है।

खाँसी, जुकाम होने पर 100 ग्राम गुड़ में एक चम्मच पिसी हुई सोंठ, एक चम्मच कालीमिर्च मिलाकर दिन में चार बार इसके चार हिस्से करके खायें, लाभ होगा।

पेशाब साफ आना – गर्म दूध में गुड़ मिलाकर पीने से पेशाब साफ और खुलकर आता है। रुकावट दूर होती है। यह नित्य दो बार पियें।

हिचकी – पुराना सूखा गुड़ पीसकर इसमें पिसी हुई सोंठ मिलाकर सूंघने से हिचकी चलना बन्द हो जाती है।

बवासीर – गुड़ और हरड़ का पाउडर समान मात्रा में मिलाकर नित्य दो बार भोजन के बाद 10-10 ग्राम खाने से लाभ होता है।

कृमि – कृमिनाशक औषधि लेने से पहले रोगी को गुड़ खिलायें। इससे अाँतों में चिपके कृमि निकल कर गुड़ खाने लगेंगे। फिर कृमिनाशक औषधि लेने से सरलता से बाहर आ जायेंगे।

काँच, काँटा, पत्थर शरीर में चुभ जाए, बाहर न निकले तो (1) गुड़ और अजवायन गर्म करके बाँधने से बाहर निकल जाता है। (2) गुड़ और प्याज पीसकर काँटा चुभी जगह लेप करके पट्टी बाँधे। काँटा अपने आप बाहर आ जायेगा।

सौंदर्य – सर्दियों में गुड़ का सेवन अत्यन्त गुणकारी है। इसके नियमित सेवन से त्वचा में चमक आती है और सौंदर्य निखर उठता है।

पीलिया – प्रात: बिना कुल्ला किये (बासी मुँह) थोड़े से मूली के पत्ते और गुड़ एक साथ नित्य खाने से पीलिया में शीघ्र लाभ होता है।

पित्ती – 5 ग्राम जीरा (बिन सेंका हुआ कच्चा) पीसकर 10 ग्राम गुड़ में मिलाकर सुबह-शाम खाने से लाभ होता है।

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