Snake Bites Treatment – साँप द्वारा काटना

यदि किसी व्यक्ति को सौंप काट ले तो साँप के काटते ही तुरन्त कटी हुई जगह से कुछ ऊपर रस्सी से खूब कसकर वन्ध बाँध देना चाहिये । इस काटे हुए स्थान पर किसी तेज चाकू या धारदार हथियार से +…

मोटापा का होम्योपैथिक इलाज || Homeopathy Treatment For Obesity In Hindi

मोटापा का होम्योपैथिक इलाज मोटापा जहाँ सौन्दर्य का दुश्मन है वहीं यह अनेक मुसीबतों का कारण भी है । मोटे व्यक्ति सामान्य कार्य करने, चलने-फिरने, दौड़ने आदि में कष्ट का अनुभव करते…

Dengue Fever Treatment Homeopathy

यह ज्वर दिन में काटने वाले मच्छर से होता है। इसे हड्डीतोड़ बुखार भी कहते हैं । इसमें शरीर की हड्डियों, सिर, कमर आदि में दर्द के साथ बुखार चढ़ता है । यूपेटोरियम पर्फ 200, 1M - पहले…

Rapid Ejaculation In Homeopathy

जैसे ही कोई व्यक्ति स्त्री - संसर्ग आरंभ करने का प्रयास करता है वैसे ही उसका वीर्यपात हो जाता है जिससे वह सुख प्राप्त नहीं कर पाता- यही स्थिति शीघ्रपतन कहलाती है । स्वप्नदोष तथा…

Impotence Treatment In Homeopathy

इस रोग में व्यक्ति को भोगेच्छा होती ही नहीं है और यदि भोगेच्छ होती भी है तो उसमें इतनी शक्ति नहीं रहती कि वह स्त्री के साथ भोग् कर सके । पूर्व में अत्यधिक भोग करना, पौष्टिक…

Scrofula Treatment In Homeopathy

शरीर के खून में दोष आ जाने, सीलनयुक्त स्थान पर रहने, पौष्टिक भोजन न मिल पाने, शुद्ध हवा न मिल पाने के कारण यह रोग होता है। इसमें गला, गर्दन, कॉख या जाँघ के पुट्ठे में बड़ी-बड़ी…

Tonsillitis Treatment In Homeopathy

तालूमूल-ग्रन्थि के प्रदाह को टॉन्सिल या टॉन्सिल होना कहते हैं । यह रोग मूल रूप से सर्दी लगने, वर्षा-पानी में भीगने, ठण्डे पदार्थ ज्यादा खाने आदि के कारण होता हैं ।(A) गले के…

Diphtheria Treatment In Homeopathy

गले की श्लैष्मिक झिल्ली में एक प्रकार का धुमैला या उजला जैसा पर्दा पड़ जाता है और इसकी वजह से रोगी की साँस रुकने लगती है । रोग की साधारण अवस्था में गले में दर्द, खाने-पीने में…

Laryngitis Treatment In Homeopathy

गले में जो स्वरयंत्र होता है, उसमें या उसके निकटस्थ श्लैष्मिक आवरण में प्रदाह उत्पन्न हो जाने को ही स्वर-यंत्र-प्रदाह कहा जाता है । यह रोग फ्लू, चेचक आदि कारणों से हो जाता है ।…

Hoarseness Treatment In Homeopathy

बहुत जोर से गाना, रोना-चिल्लाना, सर्दी लगना, ज्यादा ठंडे पदार्थ खा लेना आदि कारणों से स्वर-भंग हो जाता है। इसमें रोगी की आवाज धीमी पड़ जाती है । इसे गला बैठ जाना भी कहते हैं ।…
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