पैर के तलवों या हथेलियों में जलन का होम्योपैथिक इलाज और दवा | Burning Hand And Feet Ka Homeopathic Medicine In Hindi

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पैर के तलुओं या हथेलियों में जलन होना बहुत ही आम समस्या है और किसी भी उम्र के लोगों को यह प्रभावित कर सकती है। यह जलन कभी-कभी कम या ज्यादा हो सकता है। अकसर तलुओं या हथेलियों में जलन का अनुभव, तंत्रिका तंत्र में किसी तरह की कमी या तंत्रिका तंत्र में रोग के कारण होता है।

इसके दुसरे कारणों में विटामिन बी, फोलिक एसिड, थाइमिन या कैल्शियम की कमी, किडनी से सम्बंधित समस्या के कारण भी पैर के तलुओं या हथेलियों में जलन होती है। जलन होने पर कई लोगों को ठण्डेपन या कई लोगों को गर्मी से आराम मिलता है।

कारण बहुत सारी हैं परन्तु हम कारणों पर अधिक चर्चा न करते हुए तलुओं या हथेलियों में जलन की होम्योपैथिक दवा की चर्चा करेंगे जिससे जलन होने की समस्या पूरी तरह से ठीक हो जाएगी।

पैर के तलुओं या हथेलियों में जलन का होम्योपैथिक उपचार

पैर के तलुओं या हथेलियों में जलन की सबसे पहली और सबसे अच्छी दवा है Sulphur 30, हाथ-पैर में तो जलन होती ही है, आँख-मुंह या शरीर के किसी भी भाग में जलन हो तो यह उपयोगी दवा है। इसमें शरीर से आग की तरह का लौर निकलता है। पर ध्यान देने वाली बात है कि ठण्ड से जलन में आराम मिलेगा। पैर के तलुओं या हथेलियों में जलन है पर ठन्डे पानी से धोयेंगे या बर्फ लगाएंगे तो बहुत आराम मिलेगा ऐसे में Sulphur 30 की 2 बून्द सुबह-सुबह खाली पेट जीभ पर टपका लें करीब 10 दिन लें तो जलन की समस्या ठीक हो जाएगी। अब अगर जलन में गर्म पानी से या गरम चीज से आराम मिले तो Sulphur का इस्तेमाल नहीं करके हम Arsenic 30 का सेवन करेंगे। Arsenic 30 की 2 बून्द सुबह-सुबह खाली पेट जीभ पर टपका लें करीब 10 दिन लें तो जलन की समस्या ठीक हो जाएगी।

जलन की एक दवा है Amylenum nitrosum 30 इसका लक्षण है आग में जल जाने की तरह शरीर में जलन होना, एक मिनट भी शरीर पर कपडा नहीं रख सकना, जाड़े के दिनों में भी शरीर का कपड़ा फेंककर दरवाजे खिड़कियाँ खोले रखने की इच्छा होना, ऐसी हालत और जलन में Amylenum nitrosum 30 की 2 बून्द सुबह और शाम कुछ दिन लेने से समस्या ठीक हो जाती है।

Agaricus 30 – जलन के साथ चींटी या कीड़े रेंगने जैसी अनुभूति, सुरसुराहट और खुजली में Agaricus 30 की 2 बून्द सुबह और शाम कुछ दिन लेने से समस्या ठीक हो जाती है।

Medorrhinum 200 – हाथ-पैर में अत्यधिक जलन, इसलिए रोगी हाथ-पैर निकाल रखता है ढकना नहीं चाहता । सल्फर की तरह ठन्डे पानी या ठंडी हवा में आराम मिलता है। ऐसे लक्षण में Medorrhinum 200 हफ्ते में एक बार जीभ पर लें। अगर माता-पिता या खुद में सुजाक का इतिहास रहा है फिर इसका सेवन अवश्य करना चाहिए।

Chamomilla 30 – Medorrhinum और Sulphur के समान पैर के तलवों में जलन के लक्षण Chamomilla में भी है, इसका रोगी भी पैर बिछावन से बाहर रखता है, ठण्डे पानी से आराम मिलता है, रोगी चिड़चिड़ा रहता है। ऐसे में Chamomilla 30 की 2 बून्द सुबह और शाम कुछ दिन लेने से समस्या ठीक हो जाती है।

Arundo mauritanica 30 – इसमें पैर के तलवों में जलन के साथ सूजन रहती है। पैर के तलवों से बदबू और पसीना आता है, ऐसे लक्षण में Arundo mauritanica 30 की 2 बून्द सुबह और शाम कुछ दिन लेने से समस्त समस्या ठीक हो जाती है।

Secale cornutum 30 – शरीर में जलन हुआ करता है, हाथ-पैर में झुनझुनी और चुनचुनाहट हुआ करता है। रोगी या रोगिणी शरीर पर कपड़ा बिलकुल नहीं रखना चाहता। शरीर की त्वचा ठंडी पर भीतर जलन। यह दवा दुबली पतली रोगिणी जिसके आँख और गाल धंस गए हैं, शरीर पर मानो हड्डी रह गई है उनके लिए ज्यादा लाभदायक है। ऐसे लक्षण पर Secale cornutum 30 की 2 बून्द सुबह और शाम कुछ दिन लेने से समस्त समस्या ठीक हो जाती है।

लक्षण मिलने पर आप दवा का इस्तेमाल निःसंकोच कर सकते हैं, पैर के तलुओं या हथेलियों में जलन की समस्या जड़ से ठीक हो जायेगा।

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