पुराने से पुराने कब्ज की होम्योपैथिक दवा और इलाज | Constipation Ki Homeopathic Medicine Aur Dawa In Hindi
चिकित्सक के लिए रोग असंभव नहीं बल्कि जरुरत है, कड़ी मेहनत, लगन, विश्वास के साथ चिकित्सा की जाए तो सिर्फ चमत्कार होगा।
कब्ज रोगों का जड़ है, कब्ज होने के बाद ही दुसरे रोगों के विकार दिखाई देते हैं। प्राकृतिक चिकित्सा में कब्ज को पूरी तरह नष्ट करने से दुसरे रोग खुद ही नष्ट हो जाते हैं। कब्ज हो जाने पर मल सरलता से नहीं निकलता और जमा हुआ मल आँतों में सड़ा करता है। इस रोग के होने पर ज्वर, सिरदर्द, भूख न लगना, गैस बनना और रोग के पुराना होने पर बवासीर भी हो जाता है।
कब्ज होने के बाद क्या-क्या समस्या पैदा होती है इसके बारे में हम सभी जानते हैं तो ज्यादा समय न लेते हुए इसको ठीक करने की होम्योपैथिक दवा के बारे में बात करेंगे। तो आइये समझते हैं :-
साधारण कब्ज में जिसमे कोई खास लक्षण न रहे बस शौच जाने की हाजत न हो, अगर हाजत हुआ भी तो थोड़ा मल निकलना, बार-बार हाजत हो जाना पर मल का खुल कर नहीं आना, तो ऐसे में सुबह Sulphur 30 की 2 बून्द जीभ पर और रात में Nux vomica 30 की 2 बून्द जीभ पर लेना है।
अब लक्षण पर खास ध्यान दीजियेगा :-
जब कब्ज की वजह से पेट अंदर को धंसता सा महसूस हो, पतले और कमजोर लोगों के कब्ज में में फायदा देगी – Hydrastis Q या Hydrastis 200 भी इसमें अच्छा लाभ देता है। अगर Hydrastis Q लें तो इसकी 20 बून्द आधे कप पानी में डाल कर दिन में 3 बार पियें, Hydrastis 200 की 2 बून्द हफ्ते में 1 बार सेवन करने से भी ऐसे लक्षण में बहुत लाभ मिलता है।
जब मल बहुत कड़ा, बकरी की मेंगनी की तरह का हो, अंदर मल जमा हो, ऐसा कब्ज आराम परस्त महिला को, गर्भावस्था के दौरान, शिशुओं में, वृद्धों में होता है तो ऐसे लक्षण पर लाभ करता है – Alumina 30, इसकी 2 बून्द दिन में 3 बार जीभ पर लेना है।
मल सूखा, कड़ा, गर्म जैसे भट्टी में पकाया हो, अंतड़ियों में स्राव की कमी और तेज प्यास रहे तो काम करेगा – Bryonia 30, इसकी 2 बून्द दिन में 3 बार जीभ पर लेना है।
लगातार कब्ज बना रहे, मल का मलाशय में भरे रहने के बावजूद मल त्याग की इच्छा न हो, पेट फूल जाना, गड़गड़ाहट की आवाज, पहले पाखाना कड़ा फिर पतला वेग से हो तो ऐसे में Lycopodium 200, 2 बून्द रोजाना जीभ पर लेना है।
दांत निकलने वाले बच्चों में जिनका मलाशय कमजोर हो, गतिहीन मल बाहर की ओर बढ़ता है, मगर फिर पीछे चला जाता है तो ऐसे में लाभ करेगा – Silicea 30
बच्चों में जोर का कब्ज जिसमे पाखाना हाथ से निकालना पड़े तो ऐसे में दें – Sepia 30, बच्चा है तो ड्रॉप दिन में 1 बार भी दे सकते, लाभ मिलेगा।
ऐंठन अर्थात पेट मरोड़ कर पाखाना लगे पर पाखाना होता नहीं, बहुत जोर लगाने पर, खड़ा हो कर मल त्यागने से थोड़ा पाखाना होना में हितकर है Causticum 30, ऐसे में 2 बून्द रोजाना सुबह और जीभ पर लेना है।
कई दिनों तक पाखाना की हाजत नहीं, चेहरे पर चकत्ता निकलना, नाजुक और उदास मिजाज के मोटे व्यक्तियों का ऐसा रोग जिसमे मल कड़ा, गाँठ-गाँठ करके कष्ट से निकले, मल निकलने के बाद मल के ऊपर आंव लगा हो, मलद्वार में जलन हो तो ऐसे में दें – Graphites 30, 2 बून्द रोजाना जीभ पर लेना है।
पाखाने की हाजत बिल्कुल न रहना, मल गोलियों के रूप में कठिनाई से निकले, मल का कड़ा होना, लेड़ी जैसा बदबू होना में लाभ देगा – Opium 30, 2 बून्द दिन में 2 बार लें।
मल बहुत सूखा, बड़े-बड़े लेड़ी जैसा जो सरलता से नहीं निकलते, अत्यधिक ताकत लगाने से निकले और जिसके कारण मलद्वार का फट कर रक्त निकलने लगे तो ऐसे में – Natrum Mur 30, 2 बून्द दिन में 2 बार लें।
मल त्याग करने की इच्छा बार-बार होती है, मगर हर बार मल थोड़ा-थोड़ा ही बाहर आता है, sedentary lifestyle और शराब पीने वाले व्यक्तियों के कब्ज, रात में देर तक जागने वालों की शौकीन व्यक्तिओं में ऐसे लक्षण आ जाते हैं जिसमे – Nux Vomica 30 लाभ देता है। इसको रात में सेवन करें, यह दवा रात में अधिक लाभ देता है।
यहाँ मैंने कब्ज में होने वाले मुख्य लक्षण और उसकी होम्योपैथिक दवा की चर्चा की है, लक्षण मिलने पर दवा के उपयोग से कब्ज की समस्या जड़मूल से समाप्त हो जाता है।
बहुत से रोगी को मल-द्वार में सिकुड़न अनुभव होता है जिस के कारण कब्ज की समस्या उत्पन्न हो जाती है। आज मैं मल-द्वार में सिकुड़न की वजह से कब्ज की समस्या होने पर किस होम्योपैथिक दवा का सेवन करना है, इसी की चर्चा करेंगे।
Syphilinum – इसमें ऐसा अनुभव होता है कि मल-द्वार ऊपर की तरफ़ किसी चीज से बंधा हुआ है। ऐसे में Syphilinum का सेवन करना है।
Chelidonium – इसमें सिकुड़न महसूस होगा और साथ में मल-द्वार में अत्यन्त खुजली होती है। ऐसे में Chelidonium का सेवन करना है।
Graphites – मल-द्वार के किनारे या अन्दर की तरफ़ Fissure के कारण सिकुड़न अनुभव होती है। जब भी रोगी पाखाना जाता है, अत्यन्त काटने वाला दर्द होता है। पाख़ाने के बाद घंटों सिकुड़न का अनुभव होता है। मल-द्वार के फटने और उसमें सिकुड़न के कारण ही मल नहीं उतरता। ऐसे में Graphites का सेवन करना है।
Lachesis – इस औषधि में मल-द्वार की सिकुड़न और कब्ज का कारण गुदा-प्रदेश में बवासीर के अनेक मस्सों का होना है जो बाहर निकलें होते हैं।
Lycopodium – गुदा-प्रदेश की सिकुड़न के कारण टट्टी आना असंभव-सा हो जाता है। टट्टी जाने की इच्छा होते ही मल-द्वार में सिकुड़न होने लगती है।
Mezereum – इसके सिकुड़न के कारण गुदा-प्रदेश में ही नहीं, गुदा और जननेन्द्रिय के बीच के भाग में भी दर्द होता है जो मूत्र-प्रणाली तक पहुंचता है। इस दर्द के कारण पाखाना नहीं उतरता।
Natrum Mur – गुदा-द्वार की ‘सिकुड़न’ (Contraction of rectum) की शिकायतों को दूर करने की यह महौषध है। पाखाना जाने के बाद मल-द्वार में जलन और खराश होती है। मल खुश्क, कड़ा होता है और फटे हुए गुदा में से टूट-टूट कर गिरता है। रोगी जोर लगाता है, उस से खून निकलता है।
Nitric Acid – पाखाना जाने के बाद घंटों तक सिकुड़न अनुभव होती रहती है। गुदा के फटे हुए स्थान से पानी जैसा स्राव रिसता रहता है। गुदा में इस कदर दर्द होता है मानो किसी ने छुरी से काटा हो।
Nux Vomica – आंतों के क्रियाशील न होने के साथ मल-द्वार की सिकुड़न का संबंध होता है। पाख़ाने की हाजत होती है परन्तु मल निकलता नहीं है, थोड़ा-बहुत निकलता है, तो भी यही अनुभव होता रहता है कि अभी कुछ बाकी रह गया।
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